- विश्व मैत्री मंच गोष्ठी में कहानी ‘ढलान’ को मिली सराहना
अरबिंद श्रीवास्तव, ब्यूरो चीफ
बांदा। कहानी कहीं से भी शुरू हो सकती है। एक बिंदु से, रूपक से, घटना से, बिंब से या प्रतीक से, लेकिन जब कहानी लेखक के ह्दय से गुजरती है तो वह निश्चित ही पाठकों तक पहुंचती हैं। वरिष्ठ कहानीकार संतोष श्रीवास्तव ने अंतर्राष्ट्रीय विश्व मैत्री मंच मध्यप्रदेश इकाई का बहुचर्चित कार्यक्रम तीन कहानी, तीन समीक्षक आनलाइन गूगल गोष्ठी के माध्यम से संपन्न हुई गोष्ठी को संबोधित करते हुए यह बात कहीं। गोष्ठी में डा.सबीहा रहमानी की कहानी ‘ढलान’ को सराहना मिली। उन्होंने कहा कि लेखक का अपने सृजन में अपने समय को गहराई से व्यक्त करना समकालीन दुनिया के संकट के बारे में चिंचित होना आवश्यक है। यहां लेखक की भूमिका चुनौती भरी हो जाती है।
आनलाइन गूगल गोष्ठी में तीन कहानीकार डॉ. सबीहा रहमानी-ढलान, अंतरा करवड़े- गुलाबी फरवरी, काव्या कटारे-जो आया था, ने अपनी कहानियां पढ़कर सुनाई। विशिष्ठ अतिथि वरिष्ठ कहानीकार एवं नाट्य लेखन के लिए पुरस्कृत सुमन ओबेराय ने अपने वक्तत्व में कहा कि जो आया था, एक ऐसी कहानी है जो न केवल समाज की ज्वलंत समस्या को प्रतिबिंबित करती है, बल्कि उसका हाल भी बताती है। उन्होंने काव्या कटारे को अपनी शुभकामनाएं दी। मुख्य अतिथि वरिष्ठ साहित्यकार सूर्यकांत नागर ने कार्यक्रम को आयोजित करने के लिए मंच को शुभकामनाएं दी और गुलाबी फरवरी पर विस्तार से अपनी बात रखी।
कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे वरिष्ठ कवि एवं कहानीकार मुकेश कटारे सुगम ने कहानियों के आंदोलन का स्वागत किया और कहा कि नए कहानीकारों को प्रोत्साहन मिलना स्वाभाविक है। उन्होंने डॉ. सबीहा रहमानी की विवेचना करते हुए कहा कि ढलान एक ऐसी कहानी है जो बच्चे पैदा करने की आधुनिक तकनीकि, पति-पत्नी के रिश्तों को जोड़ने के साथ कभी उसमें शक का बीज बो देती है। उन्होंने कहा कि कहानी में चित्रात्मक पैदा कर उसे सुंदर बनाता है। संचालन मुजफ्फर सिद्दीकी ने किया। कार्यक्रम में राजबोहरे, पवन जैन, ऊषा सक्सेना, श्रद्धा निगम, प्रियंका, विभा, रश्मि एवं अन्य पत्रकार प्रमुख मौजूद रहे। मंच की अध्यक्ष महिमा श्रीवास्तव वर्मा ने सभी का आभार व्यक्त किया।
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