- राजा देवी डिग्री कॉलेज में 400 से अधिक छात्र-छात्राओं ने सर्वसम्मति से दो प्रस्ताव पारित किए
- पहले प्रस्ताव में सच्चे जनसेवकों को वेतन-भत्ते, पेंशन, निधियों से मतलब नहीं होना चाहिए, यह कानून बनते ही दागी चुनाव में फायदा ना होते देख चुनाव नहीं लड़ेंगे।
- दूसरे प्रस्ताव में सर्वसम्मति से नोटा को लेकर प्रस्ताव पास हुआ, जिसमें कहा गया यदि नोटा जीते तो उस विधानसभा या लोकसभा में दोबारा चुनाव हों
अरबिंद श्रीवास्तव, ब्यूरो चीफ
बांदा। राजनीति में बढ़ते बाहुबल और धनबल को समाप्त करने के लिए यह जरूरी हो गया है कि दागियों को राजनीति से हटाने के लिए सच्चे समाजसेवियों की आज जरूरत है। इसके लिए मतदाताओं को एकजुट होकर संसद में यह कानून बनवाना होगा कि सच्चे जनप्रतिनिधियों को वेतन-भत्ते और पेंशन तथा निधियों से मतलब नहीं होना चाहिए, उन्हें तो सिर्फ जनता की सेवा के लिए अपनी रूचि के अनुसार काम करना चाहिए। जैसे कोई डॉक्टर, कोई अधिवक्ता, कोई इंजीनियर, कोई शिक्षक, कोई पत्रकार या फिर समाजसेवी, यदि अपने विधानसभा या लोकसभा क्षेत्र से लोगों की सेवा करना चाहता है तो यह उसकी रुचि का विषय होना चाहिए। हम जो भी पेशा करते हैं, उससे अपना और अपने परिवार का खर्चा चलाएं और अपनी रुचि के हिसाब से जनता की सेवा करें।
इसके लिए शासन की ओर से जनप्रतिनिधियों को लखनऊ या दिल्ली आने-जाने का तथा वहां रुकने का भत्ता मिलना चाहिए और कुछ नहीं। यह बात एडीआर के प्रदेश कोऑर्डिनेटर अनिल शर्मा ने कही। वह स्थानीय राजा देवी डिग्री कॉलेज में एडीआर एवं यूपी इलेक्शन वॉच के संयुक्त तत्वाधान में आयोजित ‘‘चुनाव सुधार एवं युवा संवाद’’ विषयक संगोष्ठी में मुख्य अतिथि के तौर पर बोल रहे थे। इस अवसर पर उनकी बात को लेकर 400 से अधिक छात्र-छात्राओं ने सर्वसम्मति से प्रस्ताव पारित किये कि दागियों को राजनीति से हटाने के लिए सच्चे समाजसेवियों की जरूरत है और उन्हें वेतन-भत्ते, पेंशन और निधियों से कोई मतलब नहीं होना चाहिए।
विद्यालय के प्राचार्य और संगोष्ठी की अध्यक्षता कर रहे डॉ. संतोष कुमार तिवारी ने कहा कि चुनाव आयोग ने मतदाताओं को एक बेहतर विकल्प के रूप में नोटा दिया है लेकिन ऐसा कानून बनना चाहिए कि जिस विधानसभा या लोकसभा से नोटा जीते तो वहां फिर दोबारा चुनाव होने चाहिए, इससे मतदाताओं के भीतर यह विश्वास पैदा हो जाएगा कि यदि नोटा को वोट देंगे तो वह व्यर्थ नहीं जाएगा और जब हम सभी प्रत्याशियों को न करेंगे और नोटा को वोट देंगे तो हमारा वोट सार्थक हो जाएगा।
विशिष्ट अतिथि एवं बार संघ के पूर्व अध्यक्ष तथा एडीआर के प्रदेश कोर कमेटी के सदस्य आनंद सिन्हा ने कहा कि युवा मतदाताओं पर देश का भविष्य संवारने का प्रश्न है, उन्हें यह तय करना चाहिए कि वह दागी, बाहुबली प्रत्याशी के साथ हैं या फिर अच्छे और सच्चे प्रत्याशी के साथ हैं। उन्होंने कहा कि युवाओं को नया इतिहास बनाते हुए धनबली और बाहुबलियों को पराजित करना पड़ेगा तथा जिस तरह से दुर्जन भाई, जागेश्वर यादव, जमुना प्रसाद बोस एवं रामरतन शर्मा जैसे नेता कम से कम पैसे में यानि पांच-दस या तीस हजार रुपए में लोकसभा या विधानसभा का चुनाव लड़ लेते थे, जबकि आज इतने पैसे में वार्ड के सभासद का भी चुनाव नहीं लड़ा जा सकता। उन्होंने कहा पहले जनप्रतिनिधियों को लोक-लाज की चिंता होती थी। अब हमें वह संस्कृति फिर से लानी होगी और यह केवल युवा ला सकता है।
विशिष्ट अतिथि व बीएड विभाग के अध्यक्ष डॉ. शिवाकांत त्रिपाठी ने कहा कि मतदाता को अपने जनप्रतिनिधियों के बारे में ज्यादा से ज्यादा जागरूक होना चाहिए, क्योंकि जब हम जागरूक होते हैं और हमारे पास फीडबैक होता है तो सवाल अपने आप उठते हैं। मतदाता को इस चुनाव में चुप्पी तोड़नी चाहिए और वोट मांगने आने वाले हर प्रत्याशी से अपनी प्रमुख दो समस्याएं बताकर गांव या शहर के मोहल्लों की समस्याओं के निराकरण के लिए एक रजिस्टर में प्रस्ताव पारित कराकर उनकी सहमति से उसमें उनके हस्ताक्षर करवाकर अपने पास रखना चाहिए, यह काम जनदबाव के रूप में काम आएगा।
इस अवसर पर एडीआर के जिला कोआर्डिनेटर सचिन चतुर्वेदी ने कहा कि इस संगोष्ठी में बहुत अच्छे प्रस्ताव पारित हुए हैं। यदि इन पर अमल हो जाए तो बुन्देलखण्ड की राजनीति में व्यापक परिवर्तन दिखाई देने लगेगा और हमें अच्छे और सच्चे प्रत्याशी मिलने की दिशा में हम एक कदम आगे बढ़ जाएंगे। कार्यक्रम का संचालन डॉ. कुलदीप यादव ने एवं अध्यक्षता कॉलेज के प्राचार्य डॉ. संतोष कुमार तिवारी की। इस कार्यक्रम में लगभग 400 से अधिक छात्र-छात्रायें, शिक्षक-शिक्षिकाओं सहित पूर्व बार संघ अध्यक्ष अशोक त्रिपाठी जीतू एवं अंकित मेहरोत्रा भी उपस्थित रहे।
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