पट्टी विधानसभा क्षेत्र में अधिकांश लोगों के लिए हीरा-माणिक्य हैं भाजपा प्रत्याशी मोती सिंह


अनिल त्रिपाठी

राजेन्द्र प्रताप सिंह उर्फ़ मोती सिंह प्रतापगढ़ ज़िले के पट्टी विधानसभा क्षेत्र से लगातार तीन बार विधायक चुने जा चुके हैं। चौथी बार 2012 में उन्हें हार का सामना करना पड़ा किंतु वो चुनाव परिणाम बहुप्रचलित विवादास्पद रहा,मामला अदालत की चौखट तक पँहुचा था। हालाँकि इस हार की भरपाई उन्होंने 2017 के अगले ही चुनाव अपनी चौथी जीत दर्ज कराते हुए कर ली। अब 2022 के मौजूदा चुनाव में वो पुनः इसी चुनाव क्षेत्र से खम ठोकते हुए पांचवीं बार विधानसभा में पट्टी का प्रतिनिधित्व करने को तैयार हैं। स्थानीय स्तर पर उन्हें ' विकास पुरुष ' का ख़िताब हासिल है।

राजेन्द्र सिंह उर्फ़ मोती सिंह अपने 'विकास पुरुष' के तमगे के साथ कितना न्याय करते हैं इस तथ्य की पड़ताल करने के लिए मैं प्रतापगढ के 'पट्टी विधानसभा क्षेत्र संख्या 249' पँहुचा। मोती सिंह जोर-शोर से अपने प्रचार अभियान में जुटे हैं। प्रदेश की वर्तमान योगी सरकार के काबीना मंत्री राजेन्द्र सिंह उर्फ़ मोती सिंह पट्टी के सुदूर अंचलों में बसे छोटे छोटे गाँवों का दौरा करते हुए हर दिन सामान्यतः 15-16 चुनावी सभाएं कर रहे हैं। 

ग्रामीण अंचलों में प्रचार और चुनावी हलचल देखने का अपना अलग ही मजा है। सुरम्य वातावरण में सरसों के खिले पीले फूलों की बिछी चादर के बीच नागिन सी बलखाती पतली सड़कों से होते हुए हम पँहुचते हैं पट्टी तहसील के गाँव होशियार पुर। गाँव के बीच सफेद और गुलाबी पृष्टभूमि पर मोहक छींटदार फूलों के छापों से सजा पांडाल खड़ा है। चारों कोनों पर भाजपा के झंडे लहरा रहे हैं। बड़े बड़े लाउडस्पीकर से किसी स्थानीय नेता की आवाज़ गूँज रही है। नेता कितना भी छोटा या स्थानीय क्यूँ न हो बात वो अंतर्राष्ट्रीय स्तर की ही करता है। 

  • " मोदी ने देश का नाम दुनिया रोशन किया है। भारत को फिर से विश्वगुरु बनाना है तो भाजपा को ही जिताना होगा।"

इसी बीच दूर कुछ गाड़ियों का काफ़िला दिखाई देता है। मोरारी बापू के भक्तों की तरह ध्यान लगाए रामकथा की तरह तन्मयता से भाषण सुन रहे लोगों का ध्यान अचानक भंग हो जाता है। सुगबुगाहट शुरू होती है। 

 " ए हो फलाने..हमा जनात ब मंत्री जी क गाड़ी अहै का.." 
'फ़लाने' तस्दीक करते हैं - 
" जनात क बा, ओनही हबय हैएन की.."

भाषण दे रहे स्थानीय नेता जी अंतर्राष्ट्रीय मुद्दे छोड़ धरातल पर आते हुए एम्प्लीफायर पर उँगली फेर रहे टेक्नीशियन को आवाज़ लगाते हैं - 

" ए रामखेलावन, वा मंत्री जी आय गा हैएन, देख ल्या तोहार माइक-ओइक जनरेटर-ओनरेटर कुलि चाक-चौबन रहय चाहे..धियान रक्ख्या जे मंत्री जी के बोलत भये कुछ बंद भा त तोहार बोलिया बंद होय जाए।"

इलेक्ट्रीशियन/टेक्नीशियन को ताक़ीद कर नेता जी जनता से मुख़ातिब होते हुए कहते हैं -

" बस कुछ क्षणों में ही हम सबके प्रिय नेता पट्टी क्षेत्र का चंहुमुखी विकास करने वाले 'विकास पुरुष' हम सबके अपने माननीय मंत्री मोती सिंह जी हम सबके बीच होंगे। आप सब से अनुरोध है कि उनके आते ही उनके स्वागत में हम सब जोर जोर से नारा लगाएंगे।" 

श्रोताओं में से आवाज़ आती है - " नरवा का लगावय क अहै, उहव त बतावा ! "

अचानक मंचासीन दूसरा स्थानीय नेता माइक झपटते हुए बोलता है - " हम नारा लगाएंगे - मोदी-योगी-मोती सिंह - जिन्दाबाद-जिन्दाबाद। 

मैं बोलता हूँ मोदी-योगी-मोती सिंह, आप सब बोलिये - जिन्दाबाद-जिन्दाबाद। 

चलिए रिहर्सल कर लेते हैं - मोदी-योगी-मोती सिंह "

भीड़ नारा बुलंद करती है - " जिन्दाबाद-जिन्दाबाद " आधे घँटे से राष्ट्रीय से अंतरराष्ट्रीय स्तर के मुद्दों में उलझा के भीड़ को बैठाए रखने वाला पहला स्थानीय नेता नारा लगवा रहे दूसरे स्थानीय नेता को ज़हरबुझी निगाहों से कुछ इस तरह देखता है कि उसके मन में उठ रहा तूफ़ान चेहरे की झुंझलाहट के ज़रिए साफ़ झलक जाता है। 

'सुबह से गाँव-गाँव घूम के आजी-चाची, भइया-बाबू, दादा-काका करके भीड़ इक्कठा की हमने, पांच पसेरी आलू घँटा भर से कराहा में भुनवा रहे हैं कि गमकती महक के मोहपाश में भी लोग टिके रहें, आधे घण्टे से गला फाड़ के भाषण दे रहे हैं हम औ 'मोती चाचा' के आते ही माइक छीन के मोदी-योगी-मोती सिंह - जिन्दाबाद-जिन्दाबाद का नारा लगवाने लगा ये !, औ इसकी बेशर्मी और हमारी बदकिस्मती तो देखो कि सवेरे हमने ही इसको बताया था कि आज हम ये नारा लगवाएंगे ! '

बेबसी में बगल में बैठे बुज़ुर्ग प्रधान जी से बस इतना ही कह पाया - " देखत अहा दादा ! "

प्रधान जी बोले - " कुलि देखत अही बच्चा, अरे देखे तौ तबौ रहे जब अखलेसवा अपुने चाचा सिबपाल के हाथे से झटक के माइक छोर लिहे रहा..मुला तू चिंता जिन करा, हम हई न, बताउब न सब मंत्री जी क, अबहाँ त बस सब मिलि के कइसेव जितावत ज मोती सिंह क,.." इसी बीच राजेन्द्र सिंह उर्फ़ मोती सिंह की गाड़ियों का काफ़िला मंच से कुछ दूर खड़ा होता दिखाई पड़ता है। 

मोती सिंह अपने कुछ ख़ास समर्थकों के साथ मंच की ओर कदम बढ़ाते हैं, साथ मे कुछ सुरक्षाकर्मी भी हैं किंतु मात्र सरकारी रस्म अदायगी के लिए ही।  ग्रामीणों और मोती सिंह के बीच बाधा नहीं बनते। स्थानीय लोगों का घेरा उनके इर्दगिर्द बढ़ता जाता है।

  • इधर दूसरा स्थानीय नेता नारा लगवाता है - " मोदी-योगी-मोती सिंह "
  • मंत्री जी को आते देखने मे ध्यानमग्न भीड़ हल्के से दोहराती है - " जिन्दाबाद-जिन्दाबाद "।

दूसरे नेता को अपना कराया रिहर्सल डूबता दिखाई पड़ता है। वो भीड़ में जान फूँकने की कोशिश करता है - " यहाँ जितने भी लोग हैं उन सबको मोती भइया को ये अहसास कराना है कि यहाँ मौजूद उनका एक एक समर्थक 25-25 के बराबर है।" इस बीच मोती सिंह मंच के बिल्कुल नज़दीक आ जाते हैं।

  • प्रधान जी बोलते हैं - " ल्या आय गएन हो मंत्री जी "
  • प्रधान जी समेत पहला और दूसरा स्थानीय नेता एक साथ नारा बुलंद करते हैं - " मोदी-योगी-मोती सिंह "
  • अभी तक अलसाई बैठी भीड़ मंत्री जी को अपने इतने नज़दीक पा नई ऊर्जा के साथ पूरी ताक़त से दोहराती है - " जिन्दाबाद-जिन्दाबाद "।
स्वागत भाषण की रस्मअदायगी के बाद मोती सिंह माइक सम्हालते हैं - 
" हमारे अभिवावकतुल्य आदरणीय प्रधान जी,हमारे छोटे भाई समान ...... ( दूसरा स्थानीय नेता ), हमारे घर के बच्चे की तरह ...... ( पहला स्थानीय नेता ), यहां उपस्थित सारे लोग हमारी बहन बिटिया और अन्य सभी महिलाएँ.."

इससे पहले कि भाषण के शुरुवाती औपचारिक वाक्य का औपचारिक अंत हो मोती सिंह की निगाह मंच से कुछ दूर खड़े एक ग्रामीण पर पड़ती है और मंत्री मोती सिंह का भाषण औपचारिक से अपनत्व की पगडण्डी थाम लेता है -

 " का हो लल्लन तू हुआँ काहे खड़ा अहा..कुछ नाराज हया का..एनहूँ हमरे बरे घरे के लरिकय अस हैएन,अरे ए का हियाँ मौजूद एक एक आदमी..ई सब हमार बहिन बिटिया, सबय हमार अपनय त हैएन.. केका कही आ केका छोड़ी। हम तोहरे सब के बरे उहै घरे क मोती सिंह हई, मंत्री त तुहिन सब मिलि के बनाय दिहे ह्~या। कौनिव काम परे रात दुइ बजे तबौ तू हमार दरवाजा खटखटाय सकत थ्या, औ हमहूँ खड़ा मिलब तोहरे बरे। जे न खड़ा होऊब त प्रधान जी हमार कान न पकर लेहिहिं, की इही बरे तोहा मंत्री बनाए रहे ! "

 'शासन-सत्ता' से इतना अपनत्व, इतनी निकटता और अधिकार पा भीड़ गदगद हो जाती है। खिलखिलाती हँसी के साथ तालियों की गड़गड़ाहट गूँज उठती है। भाषा-बोली का स्पंदन और सम्प्रेषणीयता बहुत तीव्र होते हैं। माहौल को अपने आग़ोश में लेने में ज़रा भी देर नहीं लगाते। अब भाषण क्या मोती सिंह की 'बतकही' आगे बढ़ती है -

" लेकिन हमरे जियत जी प्रधान जी क ई मौका मिले ना..। पूछा एनसे ई पियर जाकेट पहिरे खड़ा हैएन .... ( मोती सिंह बाकायदा उस ग्रामीण का नाम ले के सम्बोधित करते हैं।) एनके दादा क गोड़ टूट ग रहा, आएन हमरे लगे रोवय लागेन.. डॉक्टर कहत हैएन जे ठीक से इलाज नाहीं भा त गोड़वव काटे परि सकत~थ,कसत करी, हमरे लगे तौ पइसव कौड़ी नाहीं ब। हम कहे काहे हलकान हया, नाहीं ब पइसा कौड़ी, हम त हई, मोदी त हैएन ! ओनकर माकूल इलाज होए,.अबहाँ जवन जरुरति होय हमा बतावा, बाकी इन्तिजाम तौ मोदी कइन दिहे हैएन, आयुष्मान भारत योजना म पांच लाख रुपिया तक क मुफ़्त इलाज होए ! औ उहै भा, ए ओंन्हा लै के लखनउवव आएन, पूरा इलाज भ,..का हो का हाल ब तोहरे दादा क गोड़े क..?"

पीली जैकेट वाला ग्रामीण बोले इससे पहले भीड़ में कोई दूसरा ग्रामीण बोल पड़ता है -

" अरे एकदम चैतन्न हैएन की..गोड़वा त ओनकर अस अहै कि कहा कब्बडी खेलयं..!"

भीड़ में ठहाका गूँजता है। इसके बाद मोती सिंह सरकार द्वारा चलाई जा रही उज्ज्वला योजना, मुफ़्त राशन तेल-नून, प्रधानमंत्री-मुख्यमंत्री आवास योजना, शौचालय, नल-जल, कन्या धन, किसान सम्मान निधि, श्रमिक भत्ता, विभिन्न पेंशन आदि जनकल्याण सम्बंधी महत्वपूर्ण योजनाओं की ज़िक्र करते हुए अपने अपने क्षेत्र में सड़क-शिक्षा, चिकित्सा, बिजली पानी आदि से सम्बंधित अब तक कराये जा चुके और निर्माणधीन कार्यों का ब्यौरा देते हैं। वो लोगों को क़ानून व्यवस्था के मुद्दे पर भी सचेत करना नहीं भूलते कि जब तक भाजपा है योगी हैं उनका बुलडोजर गरजता रहेगा और अपराधियों के हौसले पस्त रहेंगे, लेकिन अगर कोई चूक हुई तो प्रदेश को दोबारा गुंडाराज और अराजकता के चंगुल में जाने से कोई नहीं रोक सकता। 

माहौल को देखते हुए वो राममंदिर के भव्य निर्माण और कृष्ण जन्मभूमि मुक्ति का भी तड़का लगाते हैं। बीच बीच में अपने विरोधियों पर वार करते हुए उनपर बाहरी और निष्क्रिय होने का आरोप लगाते हैं और ताक़ीद करते हैं कि अगर कोई और आया तो पट्टी विधानसभा क्षेत्र का विकास अवरुद्ध हो जाएगा, जिसे गति देने के लिए वो रात-दिन एक कर रहे हैं। अंत मे एक अच्छे विद्यार्थी की तरह वो अपना रिपोर्ट कार्ड जनता के सामने रखते हुए सधे शब्दों में ख़ुद को जिताने, मोदी योगी के हाथ मज़बूत करते भाजपा सरकार बनाने की गोहार लगाते मतदाताओं की मनुहार करते हैं। सभा समाप्त होती है। 

भीड़ अपने प्रिय नेता को घेर लेती है। कोई अपना काम हो जाने का धन्यवाद ज्ञापित कर रहा है तो कोई अभी तक काम न हो पाने का दुखड़ा रोते उलाहना देता है। मोती सिंह बड़ी आत्मीयता के साथ सबको सुनते सन्तुष्ट करते हैं। संक्षिप्त-साक्षात्कार का आग्रह करने के लिए मैं भीड़ को चीर आगे बढ़ता हूँ। उनकी सुविधा का ध्यान रखते हुए पूछता हूँ कि कब कहाँ आ जाऊँ।

बिना देर किए वो उत्तर देते हैं - 

" कब कहाँ क्या..!, अरे अभी यहीं बात करते हैं, मैं अपने लोगों के बीच हूँ, इनका स्थान भी मेरा अपना घर-दुआर ही है, आइए यहीं बैठते हैं। इतना कहते हुए वो वहीं नज़दीक फूस की बनी एक मड़इया में बैठ जाते हैं। 

पहला सवाल - पाँचवी बार आप पट्टी का प्रतिनिधित्व करने के लिए चुनाव मैदान में हैं। इस क्षेत्र का मतदाता आपको पुनः क्यों चुने, इसके लिए कोई तीन कारण बताइए।

जवाब -  " पहला कारण ये कि मैं स्थानीय हूँ, लोगों के सुख-दुख में उनके साथ खड़ा हूँ। अभी तक का मेरा पूरा राजनैतिक जीवन अपने क्षेत्र के लिए ही समर्पित रहा है। इस क्षेत्र का चंहुमुखी विकास ही मेरे जीवन का एकमात्र उद्देश्य है। दूसरा कारण है मेरा राजनैतिक और शासकीय अनुभव। योजनाएं तो अनेक बनती हैं किंतु इतने बड़े देश और प्रदेश में हर क्षेत्र में उनका लागू हो पाना आसान नहीं होता। अपने दशकों के अनुभव के बाद मैं सीख पाया हूँ कि योजनाओं और प्रोजेक्ट्स को प्राथमिकता के आधार पर अपने क्षेत्र में कैसे लागू करवाया जाता है। इसका प्रमाण हैं पट्टी विधानसभा क्षेत्र में सफलतापूर्वक चल रही केंद्र और राज्य की अनेक योजनाएँ। सड़क हो बिजली हो सिंचाई और पीने के पानी की व्यवस्था, शिक्षा, स्वास्थ्य या फिर खेलकूद। किसी भी क्षेत्र में आप पट्टी में हो रहे विकास कार्यों की समीक्षा कर लीजिए। 

जिस सड़क से आप चल कर आए हैं मात्र दो चार साल पहले तक वो कच्ची हुआ करती थी, किंतु ग्रामीण सड़क योजना के आते ही मैंने अपने क्षेत्र में लगभग हर सड़क पक्की बनवा दी है। कुछ जगहों पर डामर रोड अभी नहीं बन पाई है लेकिन वहां भी खड़ंजा या बोल्डर बिछा दिए गए हैं, जल्दी ही वहां भी डामर रोड बन जाएगी। कोरोना की दूसरी लहर में देश प्रदेश के अन्य भागों की तरह हमारे क्षेत्र के लोगों को भी ऑक्सीजन की कमी से जूझना पड़ा था, इस दिक्कत को दूर करने के लिए केंद्र और प्रदेश  सरकार ने हर ज़िले के अस्पतालों में ऑक्सीजन प्लांट लगाने का निर्णय लिया। मुझे प्रसन्नता है कि अपने क्षेत्र पट्टी या ज़िला प्रतापगढ़ ही नहीं बल्कि प्रयागराज मंडल का पहला ऑक्सीजन प्लांट मैं अपने विधानसभा क्षेत्र पट्टी में लगवाने में सफल रहा। खेलो इंडिया के तहत पट्टी क्षेत्र में चार स्टेडियम का निर्माण कार्य प्रगति पर है। 

पट्टी में पालीटेक्निक की स्थापना करवाई। इसके अलावा चाहे वो प्रधानमंत्री आवास योजना हो, उज्ज्वला गैस योजना हो, कन्या धन योजना हो, पेय जल योजना हो विद्युत व्यवस्था हो या फिर अन्य कोई भी जन कल्याणकारी योजना, सभी मे पट्टी का स्थान प्रदेश के टॉप टेन में ही मिलेगा। दुर्योग से यदि मेरे स्थान पर किसी भी और को चुना गया तो पट्टी क्षेत्र में विकास का वो रथ रुक जाएगा जिसे गति देने के लिए मैंने रात दिन एक किया है। विकास के इस रथ को द्रुत गति देने के लिए मैं क्षेत्र की जनता से मुझे ही एक और मौका देने का आग्रह करता हूँ। तीसरा और सबसे महत्वपूर्ण कारण है कि मै भाजपा प्रत्याशी हूँ। 

मोदी जी के नेतृत्व और क़ानून व्यवस्था के मोर्चे पर योगी जी की प्रशासनिक क्षमता की प्रशंसा आज देश ही नहीं दुनिया मे हो रही है। एकमात्र भाजपा ही राष्ट्रवादी पार्टी है। जनता को अगर देश-प्रदेश का भविष्य सुरक्षित और खुशहाल बनाना है तो उसे भाजपा को मजबूत करना होगा। कोई राजनैतिक दल क्षेत्र की बात करता है तो कोई जाति की, कुछ राजनैतिक दल या नेता तो मात्र अपने परिवार तक ही सीमित हैं, केवल भाजपा ही है जो प्रखर राष्ट्रवाद के साथ सबका साथ सबका विकास और सबका विश्वास की बात करती है।"

अगला सवाल - मोती सिंह जी एक फिल्मी गाना है 'आदमी जो कहता है आदमी जो सुनता है, ज़िंदगी भर वो सदाएं पीछा करती हैं'..फिर ये तो चुनावी माहौल है, कहते हैं चुनाव के दौरान लोग प्रत्याशी के बारे में ऐसी ऐसी बातें भी ढूंढ के निकाल लाते हैं जो शायद ख़ुद उसे भी न मालूम हों ! ऐसे में क्या आपको अपनी ऐसी कोई बात याद आती है जिसका आपको अफ़सोस हो , या कभी किसी को कटु शब्द बोले हों जिसके लिए आप खेद प्रकट करना चाहें।

जवाब - " देखिए अगर मैंने किसी आपराधिक व्यक्ति से या क़ानून के अनुपालन में किसी ग़लत गतिविधि को रोकने के लिए कभी किसी के प्रति कटु शब्दों का प्रयोग किया है तो उसका मुझे कोई अफ़सोस नहीं है बल्कि मैं साफ़ कर दूं कि आगे भी मैं ऐसा करना जारी रखूँगा। इसके अतिरिक्त यदि मुझसे जाने अनजाने भी अपने क्षेत्र के किसी व्यक्ति के लिए कभी किसी कटु शब्द या अप्रिय भाषा का प्रयोग हो गया हो तो उसके लिए खेद क्या मैं बिना शर्त माफ़ी माँगने को तैयार हूँ।"

सवाल - मोती सिंह जी अगला सवाल आपके इसी जवाब से जुड़ा है। आपके क्षेत्र में भ्रमण के दौरान मैंने पाया कि कुछ ब्राह्मण मतदाता जो मोदी योगी के तो प्रशंसक-समर्थक हैं किंतु आपसे कुछ विमुख हैं। कारण आपने कुछ वर्ष पूर्व ब्राह्मणों के संदर्भ में कहीं कोई ऐसा बयान दे दिया था जो उन्हें उचित नहीं लगा। इस संदर्भ में विशेष रूप से अपने क्षेत्र के ब्राह्मण मतदाता से कुछ कहना चाहेंगे ?

जवाब - " अव्वल तो मुझे ऐसा कोई बयान याद नहीं आता, लेकिन मैं पिछले सवाल के जवाब में ही कह चुका हूँ कि जाने अनजाने भी कभी कुछ ऐसा हुआ हो तो मैं बिना शर्त माफ़ी माँगने को तैयार हूँ। हालाँकि मैं जाति प्रथा का पोषक नहीं हूँ, आप क्षेत्र में घूम के पता कर लीजिए हर जाति हर वर्ग का समर्थन मुझे प्राप्त है, अगर ऐसा न होता तो मैं चार बार इस क्षेत्र का प्रतिनिधित्व कैसे पाता! फिर भी मैंने क्षत्रिय कुल में जन्म लिया है और ब्राह्मण तो क्षत्रियों के लिए सदैव पूज्यनीय रहा है। 

मेरे क्षेत्र का एक भी ब्राह्मण यदि मुझसे नाराज़ है तो मेरे लिए ये बहुत ही कष्टप्रद है। अगर कभी किसी भावावेश में भूल-चूक वश मेरे मुँह से ऐसा कोई शब्द निकल गया है जो उन्हें अनुचित-अप्रिय लगा तो मैं उनसे हाथ जोड़ते, पाँव पड़ के माफ़ी माँगता हूँ। ये अपनी सफाई में नहीं बल्कि उनके विश्वास के लिए कहता हूँ कि मेरी मंशा मेरा मन्तव्य कभी भी किसी दशा में उन्हें आहत करना नहीं रहा होगा। अगर आपको मुझसे कोई शिकायत है,..बड़े बुजुर्ग हैं तो मुझे डांट सकते हैं, हमउम्र हैं मुझे चार बात सुना लीजिए, छोटे हैं तो उलाहना दे लीजिए लेकिन कृपा करके मुझसे नाराज़ मत होइए। अन्यथा आपकी नाराज़गी पट्टी के विकास, योगी के अपराधमुक्त शासन, मोदी के विकासोन्मुखी संकल्प और भाजपा के प्रखर राष्ट्रवाद पर भारी पड़ सकती है।"

इस बीच अगले आयोजन स्थल से कई बार फोन आता है। मोती सिंह के सहायकों की अधीरता भाँप मैंने उन्हें धन्यवाद देते हुए सवाल-जवाब का सिलसिला समाप्त किया। मोती सिंह का काफ़िला अगले सभा-स्थल की ओर बढ़ जाता है और मैं चल देता हूँ उसकी उल्टी दिशा में पट्टी विधानसभा क्षेत्र में हुए विकास कार्यों और मोती सिंह के दावों की पड़ताल करने। स्थान मंगरौरा ब्लॉक का सरसीखाम गांव। सड़क के दाहिनी तरफ कोई बड़ा निर्माण कार्य चल रहा है। 

स्थानीय निवासी शिव चौरसिया जी पूछने पर बताते हैं यहाँ स्टेडियम बन रहा है। निर्माणाधीन ढांचा देखकर ये इनडोर गेम्स के लिए बन रहा स्टेडियम लगता है। अंदर जाने पर वहाँ भाजपा ज़िला उपाध्यक्ष गोकुल श्रीवास्तव जी मिलते हैं, पूछने पर बताते हैं मोती सिंह जी के प्रयास से खेलो इंडिया प्रोजेक्ट के तहत पट्टी विधानसभा क्षेत्र में कुल तीन स्टेडियम का निर्माण चल रहा है। एक ये है, दूसरा  पट्टी ब्लॉक के ढिडुई गावँ में और तीसरा आसपुर देवसरा में है। स्टेडियम का निर्माण कार्य देखने के बाद हम पँहुचते हैं मंगरौरा ब्लॉक में ही उतराम ग्राम सभा क्षेत्र में। यहां मोती सिंह के प्रयास से पॉलिटेक्निक की स्थापना हुई है।

यहाँ से हम पँहुचते हैं पट्टी मुख्यालय। कोरोना की दूसरी लहर में ऑक्सीजन की भयंकर क़िल्लत से सबक लेते हुए प्रदेश सरकार ने यहाँ के सेठ पन्नालाल सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में ऑक्सीजन प्लांट लगाया है। इस प्लांट का रखरखव करने वाले स्वास्थ्यकर्मी बताते हैं इसके अलावा दूसरा ऑक्सीजन प्लांट पट्टी के पत्रकार भवन परिसर में लगाया गया है। यहां मौजूद मोती सिंह के स्थानीय समर्थक बड़े गर्व से बताते हैं - " सर ये प्रतापगढ़ ज़िले का ही नहीं बल्कि प्रयागराज मंडल का पहला ऑक्सीजन प्लांट है, इसके बाद तो ज़िले और मंडल में कई और ऑक्सीजन प्लांट लगे। किन्तु पहला ऑक्सीजन प्लांट पट्टी क्षेत्र में ही ये मोती सिंह जी के प्रयास का ही फल है।"

जिस पत्रकार भवन में दूसरा ऑक्सीजन प्लांट लगा है वो पत्रकार भवन का निर्माण भी मोती सिंह ने ही करवाया है। तहसील स्तर पर पत्रकार भवन देखना सुखद अनुभूति रहा। भवन निर्माण की बात चल रही है तो बताते चलें कि मंगरौरा, पट्टी, आसपुर देवसरा और बेलखरनाथ धाम में सभी ब्लॉक-मुख्यालय में मोती सिंह ने नया भवन निर्माण करवाया है। उन्होंने पट्टी ब्लॉक के बीबीपुर बारडीह में फायरब्रिगेड भवन का निर्माण करवाते हुए नई गाड़ियां भी तैनात करवाईं।

अपने निवर्तमान कार्यकाल में मोती सिंह ने पट्टी क्षेत्र में कैंसर जैसे गम्भीर रोग से लड़ रहे साढ़े चार सौ व्यक्तियों को सवा दो करोड़ रुपये से अधिक की राशि चिकित्सा-अनुदान के रूप में दिलवाई। अपने इसी कार्यकाल में उन्होंने पट्टी विधानसभा क्षेत्र में कुल 60 स्थानों पर मिनी हाइमास्ट भी लगवाए हैं। क्षेत्र की विद्युत व्यवस्था सुदृढ करने के लिए उन्होंने 24 स्थानों पर नए ब्रेकर लगवाते हुए कई स्थानों पर ट्रांसफॉर्मर्स में क्षमता-वृद्धि करवाई है तो अनेक नए ट्रांसफार्मर लगवाए।

पेयजल और सड़क के मामले में मोती सिंह का काम सबसे अधिक दिखाई देता है। उनके क्षेत्र में अधिकांश कच्चे ग्रामीण-सम्पर्क मार्ग अब डामर रोड में तब्दील हो चुके हैं, जहाँ कहीं अभी तक डामर रोड नहीं बन पाई है वहाँ भी बोल्डर-खड़ंजा बिछे दिखाई पड़े। मोती सिंह के मुताबिक निकट भविष्य में इन्हें भी डामर रोड में तब्दील कर दिया जाएगा। इसके साथ ही उन्होंने बड़ी तादात में क्षेत्र की सड़कों का चौड़ीकरण और नवीनीकरण भी करवाया है।

उन्होंने अपने क्षेत्र में 9 पुलों का भी निर्माण करवाया है। वर्तमान कार्यकाल में उन्होंने पट्टी में करीब साढ़े छह अरब रुपये के विकास कार्य करवाए हैं। विकास कार्यों की कसौटी पर यदि मोती सिंह का आंकलन किया जाय तो उन्हें 'डिस्टिंक्शन मार्क' के साथ पास करना पड़ेगा। इतने लंबे समय से पट्टी क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करने का राज ये है कि धर्म और जाति के आधार पर हो रही भीषण राजनीति के दौर में मोतीसिंह ने अपने विधानसभा क्षेत्र में जातीय समीकरण को तोड़ हर जाति में अपने प्रशंसक बनाये हैं। लगभग हर वर्ग से उन्हें उल्लेखनीय समर्थन प्राप्त है। सम्भवतः यही उनकी सबसे बड़ी उपलब्धि है। मेरी पड़ताल के मुताबिक इस क्षेत्र से उन्हें हरा पाना अन्य किसी भी प्रत्याशी के लिए बड़ी टेढ़ी खीर है। 

(लेखक दूरदर्शन के समाचार वाचक और वरिष्ठ पत्रकार ' अनिल त्रिपाठी हैं।)

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