सभी नौजवान, बुजुर्गों और माता-पिता की सेवा का संकल्प बनाओ : बाबा उमाकान्त जी

  • जितनी भी बहू-बेटियां हो, आप भी अपनी मां, दादी, सास की सेवा, सम्मान का संकल्प बनाओ
  • पढ़ाई-लिखाई, रंग-रूप नहीं बल्कि अक्ल और अनुभव होती है बड़ी चीज

पाश्चात्य सभ्यता को आधुनिकता मानकर उसकी अंधी नकल करने से टूटते-बिखरते परिवारों और परिणामस्वरूप आधारभूत मानवीय मूल्यों के तेजी से होते ह्रास को रोकने वाले, परिवार को इकाई के रूप में मजबूत बनाने का उपाय बताने वाले, अगली पीढ़ी को गलती कर सीखने की बजाय बुजुर्गों के अनुभव से सीखने की शिक्षा देने वाले, इस समय के महान समाज सुधारक, पक्के देशभक्त, पूरी मुस्तैदी से अपने जीव, परिवार, समाज, देश व विश्व कल्याण का कर्तव्य निभाने वाले, उज्जैन (भारत) के समर्थ सन्त सतगुरु बाबा उमाकान्त जी ने 1 अक्टूबर 2020 को अंतरराष्ट्रीय वृद्ध दिवस पर वृद्धों की सेवा और सम्मान करने का संदेश देते हुए कहा कि जिसका हाथ-पैर ढीला, त्वचा पर झुर्रियां, इंद्रियां शिथिल और काम करने की शरीर की क्षमता कम हो जाती है उसको वृद्ध कहते हैं। अकाल मृत्यु की बात अलग है लेकिन उम्र पूरी करके जाने वाले सबको बुढ़ापा आता है।

नौजवानों! माता-पिता को घर से बाहर मत निकालो, बहुत बड़ी भूल कर रहे हो

नौजवानों! कह रहे हो कि ये (माता-पिता, बुजुर्ग) अनपढ़ है, घर में रहने, हमारी सोसाइटी में बैठने लायक नहीं है। आप ऐसा मत करो। अगर आप बुड्ढों-वृद्धों की कदर, सेवा नहीं करते हो तो यह बहुत बड़ी भूल कर रहे हो। जो बहुएं यह सोचती है कि यह ऊंचा सुनती, बोल नहीं पाती, इनकी आवाज समझ में नहीं आती, जबान तुतलाती है, यह अनपढ़ और मैं पढ़ी-लिखी हूं, डिग्री-डिप्लोमा वाली हूं तो इनकी कदर, सेवा न करूं तो यह आपकी बड़ी भूल है।

धरती पर रहना है तो बुजुर्गों से अनुभव लेना पड़ेगा

अगर इस धरती पर, देश, समाज, विश्व में रहना है तो आपको अनुभव लेना पड़ेगा। जब से तौर-तरीका, खान-पान बिगड़ गया तो देखो कितनी अशांति लोगों के अंदर पैदा हो गई। किसी की जिंदगी का कोई ठिकाना नहीं रह गया। घर से निकले तो कोई गारंटी नहीं रह गई कि 2 घंटे के बाद ठीक-ठाक वापिस आ ही जाएगा। तो आप बच्चियों, लड़कियों, बहुओं, आप लोग बुजुर्गों की कदर, सेवा करो, माता-पिता का ध्यान रखो। रोटी-पानी, खिलाने-पिलाने, उनकी साधन-सुविधा, जरूरत का ध्यान रखो।

बहुओं सास की सेवा करो, समझ लो एक मां को छोड़ कर आई, दूसरी मां मिल गई

बहुओं! समझ लो यह भी हमारी मां है और अगर इनको सेवा से हम खुश कर लेंगे तो इनके दुआ-आशीर्वाद से आगे बढ़ जाएंगे। इनको सेवा से खुश कर लो। यह मत समझो कि यह अनपढ़ है, कुछ नहीं जानती। उनको जीवन का बहुत अनुभव है।

गृहस्थी का बड़ा अनुभव बुजुर्गों को होता है

 कितना भी पढ़ी-लिखी लड़की हो, एमबीबीएस, एमएस किये हुए हो, दूसरे के पेट से बच्चे को ऑपरेशन करके बाहर निकाल देगी लेकिन जब उसका बच्चा पैदा होने का समय आएगा तो स्वयं बाहर नहीं निकाल सकती है। लेकिन परिस्थिति ऐसी है, कोई दवा, दुआ, साधन नहीं है तो भी अनपढ़ सास आराम से बच्चा पैदा करा देती है। इसलिए जो गृहस्थी का अनुभव बुजुर्गों को होता है, वो रूप, रंग, विद्या पर अहंकार करने वाले जवानों को नहीं होता है इसलिए इनकी इज्जत करो।

नौजवानों! बूढ़े-बुजुर्गों की सेवा करो, एक दिन आपको भी बुड्ढा होना है

अक्ल और अनुभव बड़ी चीज होती है। पढ़ाई-लिखाई, रंग-रूप बड़ी चीज नहीं होती। बुजुर्गों को बड़ा अनुभव होता है। इसलिए आज वृद्ध दिवस के अवसर पर जितने भी आप नौजवान हो, सब लोग वृद्धों की, बुजुर्गों की, माता-पिता की सेवा का संकल्प बनाओ। इनकी सेवा, मदद करो क्योंकि आपको भी बुड्ढा होना ही होना है। जितनी भी बहू-बेटियां हो, आप लोग भी अपने मां, दादी, सास, ददिया सास की सेवा करो, सम्मान दो। आज के दिन यह पूरे विश्व के लोगों को संकल्प बनाने की आवश्यकता, जरूरत है।

सन्त उमाकान्त जी के वचन

आँख बचा कर कितना भी बुरा कर्म कर लो मालिक के कैमरे से बच नहीं सकते। शराब और मान्स खाने से तरह-तरह की बीमारियां आ जाती हैं। मेहनत और ईमानदारी की कमाई खाने से बुद्धि सही रहती है। जो भाग्य में नहीं है उसको लेने के लिए नेक काम करना पड़ता है।

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