जब कोई सहायक न हो तब जयगुरुदेव बोलो मदद होगी

समझदार बुद्धिमान करके देखते हैं और फायदा बचत होने पर मान लेते है

उज्जैन (म.प्र.)। इस कलयुग में प्रभु की पूरी शक्ति वाले जाग्रत नाम जयगुरुदेव का प्रचार करने वाले, संकट में जयगुरुदेव बोलने पर मदद करने वाले स्वयं प्रभु, इस समय के पूरे समरथ सन्त सतगुरु, परम दयालु, त्रिकालदर्शी, दुःखहर्ता, उज्जैन वाले बाबा उमाकान्त जी महाराज जी ने 31 दिसंबर 2022 दोपहर उज्जैन आश्रम में दिए व अधिकृत यूट्यूब चैनल जयगुरुदेवयूकेएम पर लाइव प्रसारित संदेश में बताया कि एक महा आलसी चेला था। गुरुजी ने कहा जा लकड़ी ले आ तो बोला गुरुजी, लकड़ी लेने बहुत दूर जाना पड़ेगा, जंगल में मिलेगी सूखी लकड़ी, जाने की इच्छा नहीं है। कहा थोड़ी बहुत लकड़ी जो अभी है, उसे ही जला लेंगे, तू जा पानी भर ला। बोला गुरुजी बहुत ठंडी है। ठंडी में वहां कहां जाएंगे। कहा अच्छा चल चूल्हा जला दे। बोला अरे गुरुजी, आप ही जला लो, आप बहुत जल्दी बढ़िया से जलाते हो। कहा आटा गूंध ले, कुछ नहीं किया। जब भोजन बन करके तैयार हो गया, कहा आकर खा ले तब बोला आज गुरु की आज्ञा का बहुत उल्लंघन किया है, आपकी बहुत बातों को टाला, अब सब बात टालना ठीक नहीं है। अब गुरुजी यह बात हम आपकी नहीं टालेंगे। तो उठाया चिमटा कहा कि अभी तुझे मैं सबक सिखाता हूं। कहने का मतलब ये है कि आप मतलब की बात तो पकड़ लेते हो लेकिन बाकी छोड़ देते हो।

 जब कोई ना सहायक हो तब जयगुरुदेव बोलो मदद होगी

बहुत से लोग जयगुरुदेव नाम पर शंका कर लेते हैं। अरे ऐसे कैसे? अपना प्रचार करने के लिए अपना आदमी, अपनी टोली बनाने के लिए ऐसा कर रहे हैं। जल्दी विश्वास नहीं होता है तो उसको विश्वास नहीं हुआ। लेकिन कहा गया डंके की चोट पर  कि जब कोई भी ना सहायक हो तब आजमाइश कर लेना चाहिए  सभी देवी देवताओं भवानी जितने भी पितर् है जितने भी देवी देवता जितने भी मान्यता वाले लोग हैं सबको याद कर लो जब कोई सहायक ना हो तब जय गुरुदेव नाम बोल कर के परीक्षा ले करके देख लो कि फायदा होता है बचत होती है कि नहीं होती है जो समझदार बुद्धिमान लोग होते हैं थोड़ा तो कहते है लाओ देखा जाये एक बार और जब फायदा हो गया बचत हो गई तब मान लेते है।

हिरना चकिया बांधकर कूदा होय

महाराज जी ने 2 जुलाई 2020 सांय उज्जैन में बताया कि हमारा एक छोटा सा दौरा बनेगा। कब जाऊगा, किधर जाऊंगा, अभी इसकी घोषणा नहीं है। अंदाजा तो लोग लगाने लगे। कुछ लोग लाल बुझक्कड़ होते हैं। लाल बुझक्कड़ जैसा बूझ करके अंदाजा मारने लग गए। लेकिन जब कोई जानकार होता है तो लाल बुझक्कड़ की बात गलत हो जाती है। लाल बुझक्कड़ कौन थे? गांव के एक थे। नदी के किनारे हाथी निकल कर के जंगल से गया था। नदी के किनारे जमीन भीगी थी। वहां उसका पैर पड़ा था। पैर रखते हुए गया था। बड़ा-बड़ा निशान बना हुआ था। गांव के लोग हाथी को देखे नहीं थे। सुबह जब लोग नहाने धोने लैट्रिन के लिए गए तब देखा कि यह किसी जानवर का पैर है तब अंदाजा लगाने लगे कि कौन से जानवर का है। बडा रहा होगा, बड़ा पैर रखा है तभी तो इतना बड़ा दिख रहा है। तब तक लाल बुझक्कड़ आ गए। लाल बुझक्कड़ अनुभव वाले थे। अनुभव होने पर जानकारी हो जाती है। कुछ लोगों को अनुभव नहीं भी होता है और उनका सम्मान जब बढ़ जाता है, लोग तारीफ करने लगते हैं तब थोड़ा अहंकार आ जाता है कि हम कैसे कहें यह चीज नहीं है। और जब कोई नहीं देखा है तो जो कह दोगे वही मां लिया जायेगा। तो लाल बुझक्कड़ पहुंचे। लोगों ने कहा अरे लाल बुझक्कड़ आ गए। अब यह बताएंगे किसका पैर है? तब उन्होंने कहा- लाल बुझक्कड़ बुझ गए और न बुझा कोय। हिरना चकिया बांधकर कूदा होय। यानी हाथ की चक्की के पाटे को हिरण ने पैर में बांधा, उसके बाद वह कूदता हुआ गया तब यह निशान बन गया। तब तक कोई जानकार भी आया, बोला यह बताओ हिरन चकिया कैसे बांध पाएगा? हाथ की चक्की के पाटे में इतना ज्यादा वजन होता है तो अपनी बात कैसे साबित कर सकते हो? तो समझो, लाल बुझक्कड़ी अच्छी नहीं होती है। अभी किसी को नहीं मालूम कि मैं कब जाऊंगा, कब आऊंगा और किधर जाऊंगा। लेकिन मुझे निकलना है। जब निकल जाऊंगा तो पता चल जाएगा। इसके चक्कर में आप मत पड़ो।

मुड़ मुड़ाय तीन गुण

महाराज जी ने 1 सितंबर 2021 जोधपुर में बताया कि कुछ लोग ऐसे भी डोलते हैं जैसे मुड मुडा लिया, कपड़ा बदल लिया, सन्यासी बन गए। कहते हैं मुड मुडाय तीन गुण, सिर की मिटे खाज, बनी बनाई रोटी मिले लोग कहे महाराज। बहुत से लोग इसलिए मुडा लेते हैं। नारी मुनि घर सत्यानाशी, दाढ़ी बढ़ाए भय सन्यासी। जब घर में औरत नहीं रह गई, गृहस्ती में खाने-पीने की दिक्कत आई तो दाढ़ी-बाल बढ़ा कर महात्मा हो गए।

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ