सतसंगियों के पढ़े लिखे बच्चे, अध्यात्म की बेल को देश-विदेश में फैलाओ - सन्त बाबा उमाकान्त

सतसंग सुनो, पढ़ो, सन्तमत के वचन छांटो, बताओ, सुनाओ, परोपकार में लगो

उज्जैन। कर्मों को काटने के लिए आसानी से की जा सकने वाली सरल सेवा के बारे में बता कर सबको कर्म मुक्त बनने का उपाय बताने वाले, पूरे समरथ सन्त सतगुरु, दुःखहर्ता, उज्जैन वाले बाबा उमाकान्त जी महाराज ने 31 जुलाई 2023 सायं उज्जैन (म.प्र.) में दिए व अधिकृत यूट्यूब चैनल जयगुरुदेवयूकेएम पर लाइव प्रसारित संदेश में बताया कि मुख्य चीज है विश्वास। इस तरह के सतसंग को बराबर सुनते रहना चाहिए। इसके अलावा साप्ताहिक सतसंग होते हैं। हफ्ते में एक दिन सतसंगी प्रेमी इकट्ठा होते हैं। उसमें जाना चाहिए। और जहां-जहां भी साप्ताहिक सतसंग होता हो, आप लोग वहां कुछ वचन को सुनाया जरूर करो। 

सन्तमत के वचन कुछ जरूर सुनाओ। नहीं सुना सकते हो तो गुरु महाराज जो सतसंग सुना करके गए, उसके बाद का जो आपको सुनाया गया है, या जो छप गया या जो रिकॉर्ड हो गया है, कैसिट बन गई है, उसी को सुनाया जरूर करो। ऐसा न रह जाए कि बस (भोजन) प्रसाद लेने के समय पर आए, खाए और चले गए। लोगों के अंदर ऐसी इच्छा रहे कि अबकी बार क्या सुनने को मिलेगा, अबकी बार क्या सुनाया जाएगा और अच्छी बात कौन सी हमको सुनने को मिलेगी। इसको आप लोग सुन करके छांट लिया करो।

बच्चियों के लिए सेवा

देखो बच्चियों! आप लोग पढ़ी लिखी, दिल दिमाग बुद्धि वाली हो। आप भी (सतसंग) सुनती रहो। यह प्रेमी तमाम सतसंग यूट्यूब पर डाल देते हैं। उसमें सतसंग पड़े हुए हैं। यह जो पत्रिकाएं निकलती हैं, किताबें छपती है, उसमें भी वचन कुछ न कुछ लिखे ही रहते हैं। तो उन्हीं को पढ़ करके सुना दो, उनको पढ़ते, सुनते रहो। उसमें अच्छी-अच्छी बातों को आप लोग छांट लो कि क्या सुनाने, बताने लायक है और जो पुरुष सतसंग को संचालित करें, वरिष्ठ पुराने भक्त हैं, जो सतसंग सन्तमत को समझते हैं, उनको सलाह दे दो, अपने ही घर में अपने पति को बता दो कि देखो यह वचन अच्छा, सामयिक है, समय की चीज है, इसको आप (आगे) बता दो। जो सतसंग आयोजित करते हैं, जिनके घर में होता है, यह चीज सुना दिया जाए। तो समझो बातें हर तरह की आ जाए। देखो आदमी आजकल इतना व्यस्त, गृहस्थी के काम में फंसा रहता है, इतना हविश, लोभ, लालच बढ़ गया है। 

ऐसी व्यवस्था भी हो गई कि वह समय निकल गया जब पहले एक कमाता था, दस खाते थे। अब दस कमाते हैं लेकिन आवश्यकता जरूरत से ज्यादा हो जाने के कारण लोगों की पूरी नहीं होती है। इसलिए दिन-रात आदमी लगा रहता है। पहले लोग दिन में ही काम करते थे। रात को आराम से सो जाते थे। अब तो आदमी के लिए रात और दिन दोनों छोटा पड़ रहा है। अब तो कुदरत से यही प्रार्थना करनी चाहिए की 24 घंटे की बजाय 36 घंटे का दिन-रात कर दो। लेकिन यह हो नहीं सकता है। उसने जो यह एक नियम बना दिया, उस नियम के अंतर्गत तो यह रहेगा ही। तो आदमी का बस इसमें नहीं चलता है। नहीं तो इसको और खींच कर बढ़ा देता, 24 घंटे की बजाय 48 घंटे के बाद तारीख बदलती। तो ऐसे व्यस्त समय में कुछ आप भी बच्चियों, सहयोग करोगी।

सतसंगियों के पढ़े लिखे बच्चों के लिए सेवा

कुछ बच्चे लोग, आप पढ़ते हो। आपकी यही जिम्मेदारी है कि आप पढ़-लिख करके नाम-दाम कमाओ, खानदान, समाज, देश का नाम ऊंचा करो, आप पढ़ लिख करके विद्वता ला करके ज्ञान अर्जित करके आध्यात्मिक की बेल को बढ़ाओ, देश-विदेश में फैलाओ। आपका यही एक काम है। इन्ही कामों में से थोड़ा समय इसके लिए भी निकाल लिया करो, जो सतसंगियों के बच्चे हो। देखो सामयिक चीज क्या है, सतसंग में क्या देने सुनाने लायक है, वह बता दिया करो। लेकिन यह काम एक जगह से नहीं हो सकता है क्योंकि समय परिस्थिति अलग-अलग है। जहां पर जैसी जरूरत हो, वहां पर वैसी चीजों को बताया समझाया जाए। जहां पर लोग सतसंग कम समझते, जानते हैं, वहां पर ज्यादा अध्यात्म की बातों को मत बताओ। 

वहां पर उनको शाकाहारी, नशा मुक्त रहने का, मनुष्य शरीर को रोगी बनाने से बचाने के लिए खून को साफ रखना है, खून को बेमेल नहीं करना है। बेमेल कब होता है? जब मांस, मछली, अंडे का सेवन करते हैं। इससे उनको अवगत कराओ कि मानव शरीर को गंदा मत करो, बीमारी से बचाओ, बुद्धि सही रहे, मां, बहन, बूढ़े, बुजुर्गों की पहचान रहे। जहां भी नौकरी, जो भी काम करते हो, मेहनत, ईमानदारी से करो। किसी को धोखा मत दो, बेईमानी मत करो, झूठ फरेब से दूर रहो। तो यह बातें बताओ। लेकिन जो सतसंग में बार-बार आए हैं, संतसग सुने और कुछ समझते हैं, नाम दान ले लिए हैं, उनको उसमें कैसे तरक्की उन्नति हो, इसको आप पढ़ करके सुनाओ। इसको लोगों को बताओ।

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