BANDA NEWS : गांधी जयंती पर ग्राम प्रधान ने खोला निःशुल्क कोचिंग सेंटर

  •  ग्राम पंचायत बिगहना के प्रधान की अनूठी पहल

बांदा। शिक्षा के लिए संकल्पित विकास खण्ड महुआ के अन्तर्गत स्थित ग्राम पंचायत बिगहना में शिक्षा और विकास के क्षेत्र में सबसे पिछड़े गांव बिगहना में अब धीरे-धीरे काफी बदलाव आना शुरू हो गया। प्रशासन की उपेक्षा झेल रहे ग्राम वासियों ने इस बार पंचायत के चुनाव में सर्व समाज में अच्छी पकड़ रखने वाले स्वच्छ और ईमानदार छवि व सामाजिक क्षेत्र में 2 दशक से अधिक सेवा देने वाले आलोक यादव को प्रधान चुना है। जिन्होंने सबसे पहले शिक्षा के क्षेत्र में काम करना शुरू किया, सबसे पहले गांव के इंटर पास दो गरीब परिवार के होनहार छात्र कुलदीप कुमार कुशवाहा पुत्र सुग्रीव प्रसाद एवं आदित्य कुमार कुशवाहा पुत्र अरुण कुमार को इलाहाबाद में तैयारी के लिए भेजा जो संदेश अकैडमी इलाहाबाद में तैयारी कर रहे हैं। 

वही आज 2 अक्टूबर को गांधी जयंती के अवसर पर गांव के कक्षा एक से आठवीं तक के छात्रों को निः शुल्क कोचिंग का ग्राम प्रधान आलोक यादव वह ग्राम पंचायत अधिकारी शेफाली मिश्रा द्वारा विधिवत फीता काटकर शुभारंभ किया गया। ग्राम प्रधान आलोक यादव ने बताया कि मेरा लक्ष्य है कि गांव शिक्षित हो, अगर गांव की नई पीढ़ी शिक्षित हो जाएगी तो अपने अधिकारों की लड़ाई स्वयं लड़कर प्राप्त कर लेंगे, उन्होंने आगे कहा कि वह हर वर्ष गरीब परिवार के दो होनहार इंटर पास बच्चे बड़े शहरों में तैयारी के लिए भेजेंगे जिनका खर्च व स्वयं वहन करेंगे। साथ ही निशुल्क कोचिंग देकर बच्चों की नीव मजबूत की जाएगी। इस महत्वपूर्ण कार्य में गांव के ही बेरोजगार नौजवान प्रदीप कुमार कुशवाहा, अरविंद कुशवाहा व कुमारी आरती देवी तथा कई वर्षों से अध्यापन कार्य कर रहे श्री बड़कूराम कुशवाहा एवं रामराज कुशवाहा का महत्वपूर्ण सहयोग प्राप्त हो रहा। 

ग्राम प्रधान आलोक यादव ने आगे बताया की ग्राम पंचायत अधिकारी शेफाली मिश्रा और पंचायत कर्मचारियों के अलावा राजस्व व अन्य विभाग के कर्मचारी कोई भी सहयोग नहीं कर रहे हैं जिससे विकास बाधित हो रहा ग्राम पंचायत की समस्त सरकारी जमीनों यथा हथकरघा भूमि वन भूमि परती, नवीन परती, खलिहान, खाद के गड्ढे की जमीन, तालाब व तालाबों की जमीन, सेक्टर और नाली यहां तक की विद्यालय भवन तक में दबंगों का अवैध कब्जा है और वहां कंडा और भूसा रखकर विद्यालय भवन पर अनाधिकृत रूप से कब्जा किए हुए। कई बार प्रशासन को पत्र लिखा और मिलकर दुखड़ा रोया लेकिन किसी ने नहीं सुना।


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