- विश्व दलहन दिवस पर कुलपति ने व्यक्त किये विचार
बांदा। मानव जीवन के स्वास्थ्य के लिए दलहन का उपभोग अति आवश्यक है। दलहन एवं दलहन से निर्मित खाद्य पदार्थ को प्रति दिन के भोजन में सामिल करना अति महत्वपूर्ण है। कुपोषण से बचाव के लिए दलहन एक प्रमुख खाद्य पदार्थ है, जोकि आसानी से हर घर को सुलभ हो सकता है। आवश्यकता है प्रति दिन कम से कम एक कटोरी दाल खाने में सम्मिलित करने की। इसकी जागरूकता ही कुपोषण की समस्या से निजात दिला सकती है। आम आदमी के लिए प्रोटीन के अन्य साधन जिसमें अण्डा, मांस, मछली एवं अन्य प्रोटीन से भरपूर खाद्य पदार्थ सुलभ नहीं है, परन्तु का उत्पादन एवं उपभोग आसान है।
पिछले कुछ वर्षा में दलहन के उत्पादकता में अप्रत्याषित वृद्धि हुई है, जोकि समृद्धि का सूचक है। यह महत्वपूर्ण बातें कृषि विष्वविद्यालय के कुलपति प्रो0 नरेन्द्र प्रताप सिंह ने विश्व दलहन दिवस पर आयोजित कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि कही। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि ने अपने सम्बोधन में यह भी कहा कि एक किलोग्राम दलहन उत्पादन के लिए लगभग एक लीटर पानी तथा उत्सर्जन के रूप में सिर्फ एक किलोग्राम कार्बनडाईआक्साइड निकलता है। दलहन उत्पादन से न सिर्फ वातावरण बल्कि स्वच्छ जल का कम से कम प्रयोग होता है।
बुन्देलखण्ड परिक्षेत्र के लिए अनुकूल दलहन उत्पादन एक तरफ जल की न्यूनतम आवष्यकता तथा पर्यावरण को संतुलित भी करता है। इस क्षेत्र में दलहन की उत्पादकता बढ़ाना आवष्यक है। साथ ही दलहन के उत्पाद का मूल्य संवर्धन भी अतिरिक्त आय के लिए अति आवष्यक है। कृषि विश्वविद्यालय बांदा लगभग सभी दलहनी फसलों पर अपने महत्वपूर्ण शोध कार्या को आगे बढ़ा रहा है। जिससे भविष्य में क्षेत्रानुकूल प्रजातियां विकसित होने तथा कृषकों के लिए उन्नतशील प्रजातियां उपलब्ध होने में कारगर साबित होंगी। विश्व दलहन दिवस का आयोजन कृषि महाविद्यालय के बहुउद्देशीय सभागार में कृषि महाविद्यालय एवं कृषि विज्ञान केन्द्र बांदा के संयुक्त तत्वावधान में किया गया था।
कार्यक्रम में विश्वविद्यालय के निदेशक प्रसार प्रो0 एन0के0 बाजपेई ने अपने वक्तब्य में बताया कि यह क्षेत्र मुख्य तौर पर मोटे अनाज एवं दलहनी फसलों के लिए जाना जाता है। बुन्देलखण्ड परिक्षेत्र में सीमित संसाधनों एवं जागरूकता की कमी से दलहन का उत्पादन औसत उत्पादन से भी कम है। कृषकों तक क्षेत्रानुकूल तकनीकियां, उन्नतशील प्रजातियां एवं जागरूकता पैदा करने के लिए सभी जिलों के कृषि विज्ञान केन्द्र सत्त प्रयासरत है। कार्यक्रम में दलहन उत्पादन के क्षेत्र में वैज्ञानिक तकनीकी अपनाकर ज्यादा उपज प्राप्त करने वाले 09 कृषकों को कार्यक्रम में सम्मानित भी किया गया। सम्मानित होने वाले कृषक शिवकुमार, योगेन्द्र सिंह, प्रशान्त, रणविजय, अशोक सिंह, शिवनारायण, अशोक सिंह, तथा दलहन प्रसंस्करण के लिए लवलेश कुमार तथा श्रीमती असमा खातून को सम्मानित किया गया।
कार्यक्रम के दौरान बुन्देलखण्ड के आम जनमानस में जागरूकता लाने तथा दलहनी फसलों के उत्पादकता बढ़ाने हेतु शस्य विज्ञान के विभागाध्यक्ष, डा0 नरेन्द्र सिंह, दलहनी फसलों में पोषण का महत्व, सहायक प्राध्यापक, डा0 सौरभ, दलहनी फसलों हेतु मृदा स्वास्थ्य पर मृदा विज्ञान के विभागाध्यक्ष, डा0 जगन्नाथ पाठक, विश्वविद्यालय में चल रहे शोध कार्य पर सहायक प्राध्यापक, डा0 सी0एम0 सिंह ने व्याख्यान के माध्यम से प्रस्तुती दी। इस अवसर पर छात्रों के द्वारा पोस्टर के माध्यम से जागरूकता लाने, तथा कुछ स्वंयसेवी सहायता समूह द्वारा दलहनी खाद्य पदार्था का स्टाल भी लगाया गया था।
कार्यक्रम आयोजन के अध्यक्ष एवं अधिष्ठाता कृषि महाविद्यालय प्रो0 जी0एस0 पंवार ने सभी अतिथियों का एवं उपस्थित जन का स्वागत किया। धन्यवाद ज्ञापन कृषि विज्ञान केन्द्र के अध्यक्ष डा0 श्याम सिंह तथा कार्यक्रम संचालन सहायक प्राध्यापक, डा0 बी0के0 गुप्ता ने किया। कार्यक्रम में विश्वविद्यालय के कुलसचिव डा0 एस0के0 सिंह, विश्वविद्यालय अधिकारीगण, प्राध्यापकगण, कृषक, महिला कृषक तथा छात्र एवं छात्राएं उपस्थित रहे।
धान बेचने को लेकर किसानों का अनशन दूसरे दिन भी जारी
अतर्रा/बांदा। हाड़ तोड़ मेहनत करने के बाद पैदा हुई धान की फसल को बेचने के लिए डेढ़ माह से खरीद केंद्र के बाहर डेरा डाले किसानों का गुस्सा थमने का नाम नहीं ले रहा है। जबकि प्रशासन का कोई भी अधिकारी किसानों की समस्या जानने के लिए उनके बीच नहीं पहुंचा अनशन को समर्थन देते हुए भारतीय किसान यूनियन के जिला महासचिव महेंद्र त्रिपाठी ने कहा कि जब तक किसानों की समस्या का समाधान नहीं हो जाता तब तक अनशन जारी रहेगा। उल्लेखनीय है कि कृषि उत्पादन मंडी समिति परिषद अतर्रा में विपणन शाखा के दो और पी सी एफ के अलग-अलग चार खरीद केंद्र संचालित है। लेकिन बिचौलियों से सांठगांठ कर केंद्र प्रभारियों द्वारा उनका धान खरीदा जा रहा है जबकि डेढ़ माह से खरीद केंद्र के बाहर अपनी धान फसल को बेचने के लिए डेढ़ माह से खुले आसमान के नीचे पढ़े अपनी बारी के इंतजार टकटकी लगाए हुए हैं।
ऐसा भी नहीं कि किसानों ने स्थानीय प्रशासन से लेकर जिला प्रशासन तक उक्त समस्या को लेकर अपनी गुहार ना लगाई हो लेकिन समस्या ज्यों की त्यों बनी हुई है। खरीद केंद्र प्रभारियों के ढुलमुल रवैया से आक्रोशित किसानों का सब्र टूट गया जिसके चलते मंडी परिषद स्थित रैन बसेरा के सामने सैकड़ों किसानों ने अपनी मांगों को लेकर अनिश्चितकालीन अनशन पर बैठ गए अनशन के दूसरे दिन किसानों के बीच पहुंचे भारतीय किसान यूनियन के नेता महेंद्र त्रिपाठी ने समर्थन करते हुए कहा कि जब तक किसानों के धान की खरीद नहीं हो जाती जब तक जारी रहेगा।
इस समस्या को लेकर शुक्रवार किसानों का एक जत्था जिलाधिकारी से मिलकर समस्या से अवगत करा खरीद केंद्रों में कांटा बढ़ाए जाने की मांग करेगा। वही विपणन अधिकारी समीर शुक्ला ने बताया कि। अतर्रा में संचालित प्रत्येक खरीद केंद्र में लगभग आधा सैकड़ा से अधिक किसानों का धान खरीद करने के लिए रखा है। जबकि शासन से निर्देश है कि प्रतिदिन 200 कुंटल खरीद की जाए लेकिन जब तक कांटो की संख्या नहीं बढ़ाई जाएगी तो किसानों की धान खरीद होना संभव प्रतीत नहीं हो रहा है जबकि 28 फरवरी तक ही खरीद होनी है।
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