- पशु-पक्षियों को खिलाने-पिलाने से उनकी आत्मा देती हैं आशीर्वाद तब बढ़ती है बरकत और अन्न-धन की कमी नहीं होती
- गर्मियों में कुछ दयालु लोग दाना-पानी रख देते हैं, यह जितना हो सके उतना करना चाहिए
बाहरी दिखावे से दूर घर-परिवार में बरकत लाने का तरीका बताने वाले, सांसारिक और आध्यात्मिक दोनों लाभ दिलाने वाले, सभी जीवात्माओं पर दया रहम करने की सीख देने वाले, शाकाहारी सदाचारी नशामुक्ति का पाठ पढ़ाने वाले, मानव धर्म की जड़ों को सींचने वाले भारत के महान समाज सुधारक महापुरुष उज्जैन वाले समर्थ सन्त सतगुरु बाबा उमाकान्त जी ने 11 अप्रैल 2022 को नागदा (उज्जैन) में दिए व यूट्यूब चैनल जयगुरुदेवयूकेएम पर प्रसारित संदेश में बताया कि वैज्ञानिक और भौतिक दोनों दृष्टिकोण से शाकाहारी चीजें आदमी के भोजन में फायदेमंद है। मांस फायदेमंद नहीं है। ये खून में विकार पैदा करता है। किसी भी जानवर पशु-पक्षी का हो, ये अन्न से भारी पड़ता है। मनुष्य के शरीर के लिए अन्न, फल-फूल प्रकृति ने बनाया। इसी शाकाहारी भोजन के अनुरूप कुदरत ने मानव शरीर का मैदा बनाया। मांस मत खाना नहीं तो शरीर रोगी हो जाएगा, बुद्धि ख़राब होगी और जो भी पूजा-पाठ करोगे वो कबूल नहीं होगा। जब से मांसाहार बढ़ा लड़ाई-झगड़ा, क्रोध, बीमारियां बहुत बढ़ गयी।
मेहनत और ईमानदारी की कमाई की रोटी खाने से सही रहती है बुद्धि
यह नियम कहता है कि मनुष्य का ही भोजन करो, मेहनत और ईमानदारी की ही कमाई खाओ जिससे बुद्धि सही रहे और संयम का पालन करो। संयम का पालन करना जरूरी है। सयंम किसको कहते हैं? कोई खा-पीकर के आया है, उसके सामने रसगुल्ला लाकर रख दो तो कहेगा भूख नहीं है। लेकिन देखो न उसकी तरफ तो पहला, दूसरा, तीसरा पूरी प्लेट साफ कर जाएगा। लेकिन कुत्ता अगर खा-पीकर के आया है, बढ़िया चीज उसके सामने डाल दो तो बड़े आदमियों के घर का कुत्ता है तो सूंघकर छोड़ देता है क्योंकि उनके नौकर को मिले न मिले लेकिन उसको तो मिलता ही मिलता है। और आवारा कुत्ता भी नहीं खायेगा, कहीं छुपा कर रख देगा, भूख लगने पर खायेगा। देखो जानवर आदमी से ज्यादा संयमित जीवन जीते हैं।
परमात्मा की अंश जीवात्मा जो मनुष्य लेकर छोटे से छोटे कीड़े में है, इसे पशु-पक्षियों में डाल देना सजा है
दूसरे पर आश्रित जानवर कहीं पड़ा मिल गया खा लिया, संतोष कर लेता है। बड़ा खराब जीवन है। पशु और पक्षियों में जीवात्मा को डाल देना एक तरह से सजा है, बहुत बड़ी सजा है। देखो प्रेमियों! इस समय पर गर्मी है। कोई छिपकली, गिलहरी, पक्षी की योनि में है, कुछ खाने-पीने को मिल गया तो खा लिए, पानी पी लिए। नहीं तो क्या करे? संतोष कर लिए। गर्मियों में सारा घास सूख जाता है राजस्थान में। जो पशु इधर-उधर हैं उनके खाने की चीजें सब खत्म हो जाती है, सूख जाती है। सोचो! वह पशु-पक्षी कैसे जीवन बिताते हैं? किसी तरह से योनि पूरी करते हैं, बहुत तकलीफ है।
पशु-पक्षी सब आदमी पर निर्भर करते हैं
कुत्ता, पशु-पक्षी किस पर निर्भर करते हैं? आदमी पर। इसीलिए आदमी जहां पर रहते हैं वहीं पर पशु-पक्षी भी रहते हैं। निर्जन जगह पर नहीं रहेंगे। (आबादी वाले क्षेत्रों में) खाने के लिए मिल जाता है और लोग दे भी देते हैं। दयालु होते हैं। बहुत लोग बर्तन में भरकर पानी रख देते हैं। पानी के लिये बर्तन रख देते हैं। पानी डाल दिया करते हैं। गर्मी में दाना डाल देते हैं। और लोग दे भी देते हैं, दयालु होते है बहुत से लोग। इससे बरकत बढ़ती है। उनकी आत्मा जब आशीर्वाद देती है तब अन्न-धन की कमी नहीं होने पाती है। करना भी चाहिए, जितना हो सके उतना करना चाहिए।
सन्त उमाकान्त जी के वचन
समझलो! निर्मित ऑक्सीजन जब नहीं मिलेगी तब बगीचा और जंगलों की ऑक्सीजन से ही जीवन दान मिलेगा। ऑक्सीजन देने वाले पेड़ लगाइए, आगे इसकी भारी जरूरत पड़ेगी। पीपल, एलोवेरा, तुलसी, नीम, मनी प्लांट, एरिका पाम, क्रिसमस कैक्टस, स्नेक ट्री, आरेंज जरबेरा, आर्किड इन पौधो को लगाइये ये रात दिन ऑक्सीजन देते हैं। सन्त सतगुरु के बताए वचनों पर कभी शंका नहीं करना चाहिए। पैदा होने से पहले जो मां के स्तन में दूध भरता है, उस मालिक पर भरोसा करो, पेट के लिए ईमान और धर्म मत बेचो।
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