प्रार्थना आरती रोज ऐसी होनी चाहिए कि सतगुरू घट में ही प्रकट हो जाए : बाबा उमाकान्त जी महाराज


कब भजन भाव भक्ति दो मिनट में खत्म हो जाती है :  बाबा उमाकान्त जी महाराज 

उज्जैन (म.प्र.)। दिखावे से दूर रहने की शिक्षा देने वाले, कड़ी मेहनत से कमाई गयी साधना जिस कारण से दो मिनट में ख़त्म हो जाय उससे सावधान करने वाले, टोटल परमार्थी काम करने और कराने वाले, गुरु को जल्दी खुश कर भौतिक और आध्यात्मिक दोनों तरक्की पाने का उपाय बताने वाले, इस समय के पूरे समरथ सन्त सतगुरु, अन्तर्यामी परम दयालु, त्रिकालदर्शी, दुःखहर्ता, उज्जैन वाले बाबा उमाकान्त जी महाराज ने 30 अक्टूबर 2020 दोपहर उज्जैन आश्रम में दिए व अधिकृत यूट्यूब चैनल जयगुरुदेवयूकेएम पर लाइव प्रसारित संदेश में बताया कि कुछ लोग ऐसे हैं जो दिखावे का काम करते हैं। सेवादारों से कहते हैं कि (गुरु जी से) साधना की बात करनी बतानी है तो जब (सेवादार) बात करवाते हैं तो बात क्या करते हैं? लड़का पास नहीं हो रहा है, कंपटीशन में  बैठ रहा है, लड़की की शादी करनी है, घर से निकाल दिया लड़की को आदि। यह सब बातें होती है, दिखावे का काम नहीं करना चाहिए। आपको तकलीफ आवे ही क्यों? तौर तरीका सीख समझ लो। जो सुख शांति, गृहस्थ आश्रम से संबंधित बातें सतसंग में बताई जाती है उन बातों को सुनो तो कान से मत निकालो। ग्रहण करो, अमल करो तो तकलीफ समस्या आएगी ही नहीं। समस्या आती है तो निदान कर लिया जाता है।

जन भाव भक्ति दो मिनट में खत्म हो जाती है

महाराज ने 31 अक्टूबर 2020 प्रात: बताया कि जब तक आत्मा को नहीं देखते हैं तब तक यह गंदगी, चाहे स्त्री पुरुष को देखें या पुरुष स्त्री को देखें, यह मैल खत्म नहीं होता है। इसीलिए अगर इसमें लोग फंस जाते हैं तो भजन भाव भक्ति सब दो मिनट में खत्म हो जाती है। इसलिए जिम्मेदार लोग इससे बचाव की कोशिश करो क्योंकि इस समय पर दोनों का जोर बहुत ज्यादा चल रहा है। कलयुग का असर है। कलियुग जाना नहीं जाता है और सतयुग आना चाहता है। सतयुग का वातावरण व्यवस्था अलग होगी। उसमें कोई भी व्यभिचारी अत्याचारी पापाचारी नहीं रहेंगे। कलयुग जाना नहीं चाहेगा तो लोगों को कलयुगी बनायेगा, उनमें कलयुगी गुण तो भरेगा ही। वह कहां छोड़ने वाला है। इसलिए लोगों को सतयुग दिखाना है, सतयुगी बनाना है, बचाना है तो आपको यह करना पड़ेगा। आप ऐसी व्यवस्था बनाओ कि धीरे-धीरे लोगों का यह लगाव, फंसाव खत्म होता जाए।

छोटे-बड़े सभी आश्रमों से परमार्थी गतिविधियां शुरू हो जाए

आप लोगों ने जगह-जगह पर छोटे-बड़े आश्रम बना रखे हैं। आश्रम की शुद्धता, मर्यादा को बनाए रखना है। आश्रम पर पहुंचकर ही लोग शांति महसूस करने लगें, आश्रम की व्यवस्था, उठना-बैठना, तौर-तरीका, ईमानदारी चरित्रवानता देखकर के लोग खुश हो जाएँ, ऐसी व्यवस्था आप लोग बनाओ। कुछ जगह आपने बना लिया, सब कुछ कर लिया लेकिन वह खाली पड़ा है, रखवाली के लिए केवल एक-दो आदमी है तब तो उसका कोई वैल्यू महत्व नहीं है। जहां लोग आने-जाने लग जाए, वहां ध्यान, भजन होने लग जाए, वहां से परमार्थी गतिविधियां शुरू हो जाए। जैसे इस समय पर अपनी संगत का भोजन खिलाने, पानी पिलाने का अभियान पूरे देश में चल रहा है तो यह सब चलने लग जाए, उसके लिए आप लोग व्यवस्था बना लो।

प्रार्थना आरती रोज ऐसी होनी चाहिए सतगुरू घट में ही प्रकट हो जाए

सतगुरु की प्रार्थना करो। प्रार्थना ऐसी होनी चाहिए कि जिसकी सुनवाई हो जाए। उनको जब पुकारो, याद करो तो वह आपको देखें, आपसे आकर के मिलने के लिए घट (अंतर) में ही प्रकट हो जाए। और कहा गया कि आरती रोज करो। तो आरती कैसी? दिया चिराग की आरती अन्य मत की आरती है। 'बिन घृत दीप आरती साजूं दोऊ अंखियन मझदारे' यानी दोनों आंखों के बीच में जहां सुरत बैठी है, वहां से उनके शब्द को पकड़ो, उनकी वाणी को याद करो। उनको याद करना और शब्द से जुड़ना, यही आरती होती है। इस तरह की आरती रोज करो। भाव होना चाहिए।भगवान तो भाव के ही भूखे होते हैं।

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