बाबा उमाकान्त जी ने किया जीव के अंत समय का वर्णन, जब ये दुनिया कुछ काम नहीं आती

माया का पर्दा कब पड़ता है और कब हटता है

उज्जैन (म.प्र.)। माया के परदे को हटाने वाले, कोई भी हो अपने अंत समय में प्रेम विश्वास श्रद्धा से जयगुरुदेव बोलने पर उसकी जीवात्मा की संभाल करने वाले, जिनको देख कर यमदूतों को मजबूरन दूर हटना पड़ता है, कर्मों की सजा से भी बचाने वाले, अपनी आँखों देखी बात बताने वाले, सत्यता का बोध कराने वाले, इस समय के युगपुरुष, पूरे समरथ सन्त सतगुरु, दुःखहर्ता, उज्जैन वाले बाबा उमाकान्त जी महाराज ने 24 अप्रैल 2023 सांय नवसारी (गुजरात) में दिए व अधिकृत यूट्यूब चैनल जयगुरुदेवयूकेएम पर लाइव प्रसारित संदेश में बताया कि मौत याद नहीं आ रही। मौत और प्रभु को भूले हुए हो। जिस काम के लिए यह मनुष्य शरीर मिला, वही काम आपने छोड़ दिया। किस काम में लगे हुए हो? इस शरीर को खिलाने, पहनाने, अच्छी जगह रहने, अच्छा घर बनाने, अच्छे कपड़े पहनाने का इंतजाम करने में, बाल-बच्चे, स्त्री-पति जो भी है, बस उन्हीं की सेवा में लगे हुए हो। 

इस चीज को भूले हो कि मौत के समय इनमें से कोई काम नहीं आएगा। जब मौत आ जाएगी उस वक्त ये बच्चे, माता-पिता खड़े देखते रहेंगे। वह (यमदूत) ऐसे जल्लाद होंगे कि उनको कोई देख ही नहीं पाएगा। इन बाहरी आंखों से वह देखे नहीं जा सकते हैं। उनमें पावर, शक्ति होती है। तो जब वह आवाज, अपनी पावर के द्वारा लगाते हैं तब सुनने वाले का कान का पर्दा फट जाता है, आवाज सुनते ही कान बहरा हो जाता है, उनको देखते ही आंख की रोशनी खत्म हो जाती है, शरीर को चलाने वाला खून, पानी हो जाता है। जैसे तेल में पानी डाल दो तो गाड़ी नहीं चलेगी, ऐसे ही शरीर में खून की कमी हो जाती है। तो खून चढ़ाना पड़ता है तब आदमी चल सकता है और खून ही पानी हो जाएगा तो शरीर क्या काम करेगा? तो आखरी वक्त पर यह सब होता है। और यह जीवात्मा और मन इस शरीर के साथ बहुत दिनों तक रहता है।

मन इस शरीर को चलाने, कराने में ही 24 घंटे लगाया रहता है तो इस शरीर को जीव खाली करना नहीं चाहता है क्योंकि मोह हो जाता है। भूल जाता है कि यह शरीर, किराए का मकान है। किराए के मकान को अपना समझ लिया। जिसकी रंगाई, पुताई करने, मरम्मत करने, इसको सुंदर सुडौल बनाने में ही हमारा समय जा रहा है, यह नहीं सोचता है। लेकिन किराए के मकान को कोई अपना मकान कह सकता है? किराए का मकान तो जब वह (मालिक) चाहेगा तब खाली करा लेगा। काया कुटी खाली करना पड़ेगा, रे मन मुसाफिर निकलना पड़ेगा। इसको तो खाली करना ही पड़ेगा।

आखिरी वक्त पर ये दुनिया काम नहीं आएगी

आप खाने, कपड़े का इंतजाम कर लो। घर मकान बना लो। बीबी, बच्चे, पति, माता-पिता, सास-ससुर है, बच्चियों सब की सेवा कर लो, सबका ध्यान रखो। और जिसके लायक जो सेवा सहयोग वह सब कर लो। लेकिन 24 घंटे शरीर के लिए ही काम करने में मत लगे रहो। जिस चीज को, रुपया पैसा को इकट्ठा करने में लगे हुए हो, या कल कारखाना, दुकान खोलने में लगे हुए हो, जमीन जायदाद बढ़ाने में लगे हुए हो, यह कोई भी चीज आखिरी वक्त में काम नहीं आएगी। यह मनुष्य शरीर दोबारा जल्दी मिलेगा नहीं। कोटि जन्म जब भटका खाया तब यह नर तन दुर्लभ पाया।

तीसरी आंख पर माया का पर्दा कब पड़ता है और कब हटता है

महाराज जी ने 3 जनवरी 2023 प्रातः उज्जैन आश्रम में बताया कि माया का पर्दा कब पड़ता है? मां के पेट से बाहर निकलने के बाद। मां के पेट में रहने पर पर्दा नहीं रहता है। और शरीर छोड़ते वक्त भी आदमी को जानकारी हो जाती है, पर्दा हट जाता है। तभी तो यमराज के दूतों को देखता है। तभी तो जो भी आता है, उसको देखता है। गुरु महाराज जब मौजूद थे, अभी तो गुरु महाराज शरीर छोड़ कर के चले गए हैं लेकिन एक ही जगह पर तो रहते थे। लेकिन जो सतसंगी आखिरी वक्त पर गुरु महाराज को याद किए, जयगुरुदेव नाम बोले, सतसंगी ही नहीं जो कोई भी प्रेम, विश्वास, श्रद्धा के साथ जयगुरुदेव नाम को बोला, उसको गुरु महाराज आखिरी वक्त पर दिखाई पड़े थे। यमदूत मारने लग गए, जबरदस्ती खाली करने लग गए। इस शरीर से जीवात्मा जल्दी निकलना नहीं चाहती है तो वो मार-मार के निकलते हैं। 

जीवात्मा बचने की कोशिश भी करती हैं लेकिन बच नहीं पाती है। तो जब इसको निकालने की कोशिश करते हैं तो उस समय पर वो यमदूत दिखाई पड़ते हैं। इन बाहरी आंखों से आप जो लिंग शरीर में देवी-देवता, गंधर्व, पिशाच, भूत इनको स्थूल शरीर वाली आंख से देख नहीं सकते हो। लेकिन उस आखिरी वक्त पर पर्दा हट जाता है। कुछ लोग एकदम से शरीर को नहीं छोड़ते हैं। जैसे मालूम पड़ा खत्म हो गए हैं, फिर होश आ गया। तकलीफ हुई एक दिन, उस समय पर कुछ बोले, बडबडाए, कुछ कहे और फिर ठीक हो गए। तब लोग कहते हैं ठीक हो गए, तकलीफ दूर हो गई। फिर उसके बाद दूसरे दिन, तीसरे दिन खत्म हो जाते हैं। तब लोग कहते हैं अरे बिल्कुल ठीक हो गए थे, कुछ खाए भी, बोलने भी लगे थे, लेकिन उनको जाना पड़ गया। (अंदर की) आंख के सामने पर्दे के रूप में जो कर्म लगे हुए हैं, जब कर्म हिसाब की तरफ चला जाता है तब पर्दा हट जाता है। 

दिखाई इसलिए नहीं पड़ता क्योंकि कर्म लगे हुए हैं। लेकिन तब कर्मों का हिसाब होने लग जाता है। पर्दा जब हटा, तब ज्ञान हुआ, तब जानकारी हुई, क्या हो रहा है, कैसे क्या हो रहा है, यह सब जानकारी हो जाती है। मां के पेट में पिछले जन्म की जानकारी रहती है, दिखाई पड़ता है। पर्दा हटता है तो भी ये हो जाता है लेकिन तब ये मजबूरी हो जाती है। आखिरी वक्त पर जब समय पूरा होने को होता है तब ये होता है। फिर जानकारी होते हुए भी कितना भी पछतावा करो, कितना भी कोशिश करो कि अब हम बच जाएँ, अबसे ऐसा कर्म नहीं करेंगे, अब हम सतसंग, सेवा, भजन के द्वारा कर्म को काट लेंगे, फिर कुछ नहीं हो सकता है। वो समय निकल गया। इसलिए समय रहते चेतो।

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