पढ़ लिखे लड़के बेकार घूम रहे, गलत सोहबत में जा रहे, खाली मत बैठो, कोई भी काम, नौकरी कर लो, जब और अच्छा काम, नौकरी मिले तब उसमें चले जाना


देश में बहुत बड़ा काम हुआ है - सन्त बाबा उमाकान्त जी महाराज

लखनऊ। निजधामवासी बाबा जयगुरुदेव जी के आध्यात्मिक उत्तराधिकारी, भटकती युवा पीढ़ी को सही दिशा देने वाले, कामयाब होने के सूत्र बताने वाले, नफरत करने, गाली देने वालों को भी अपने पास प्रेम से बुलाने वाले, जीवात्मा की संभाल करने वाले, नाम दान देने वाले, अपने गुरु के मिशन में दिन दूनी रात चौगुनी तरक्की के लिए प्रतिबद्ध, इस समय के युगपुरुष, पूरे समरथ सन्त सतगुरु, दुःखहर्ता, उज्जैन वाले बाबा उमाकान्त जी महाराज ने 10 जून 2023 दोपहर लखनऊ (उ.प्र.) में दिए व अधिकृत यूट्यूब चैनल जयगुरुदेवयूकेएम पर लाइव प्रसारित संदेश में बताया कि पढ़ लिख कर के लड़के बेकार घूम रहे हैं। काम में, नौकरी में लगा दो। बच्चों, नौजवानों खाली मत बैठो, खाली दिमाग शैतान का घर होता है। जिनका दिमाग खाली रहता है उन्हीं का मन धन कमाने में, मान बढ़ाने में, इधर-उधर जाता है। जब गलत साथ, बुरी सोहबत में पड़ जाते हैं तब निकल पाना मुश्किल हो जाता है। उसी में जीवन लीला जवानी में ही खत्म हो जाती है। उसी में आतंकवाद, दंगा फंसाद, जाति पाति, भाई भतीजावाद, धर्म-कर्म के बचाने के चक्कर में पड़ जाते हैं तो उसी में जान चली जाती है। इसीलिए काम में लग जाओ। नौकरी जब अच्छी मिलेगी तब उसमें चले जाना। बिजनेस व्यापार कर लो लेकिन सीख करके करना। कोई भी काम सीख करके किया जाता है तो कामयाबी मिलती है।

जहां नहीं पहुंच पाया, वहां बहुत से लोग भटक गए

महाराज जी ने 21 फरवरी 2020 प्रातः लखनऊ (उ.प्र.) में बताया कि खूब दौरा किया, जगह-जगह लोगों को बताया, समझाया। कोशिश इसी बात की किया कि ज्यादा से ज्यादा जगह पहुंच जाऊं। जहां-जहां गया, सतसंग किया, लोगों से मिला-जुला, समझाया, बताया और जो लोग (ध्यान, भजन) करने लग गए तो उनको तो हो गया विश्वास। जहां नहीं पहुंच पाया, वहां के बहुत से लोग भटक भी गए और भटके तो इस कदर भटके कि जानकारी होते हुए भी अब लोक-लाज, शर्म के मारे इधर आना पसंद नहीं करते हैं कि लोग क्या कहेंगे। हमने जब विरोध किया, गाली दिया तो अब हम कैसे (महाराज जी के पास) जावें। अरे! गुरु महाराज सब से प्रेम करते थे, मैं भी सबसे प्रेम करता हूं। मैं तो दुश्मन किसी को मानता ही नहीं। और अगर दुश्मन किसी को मान लूंगा तो गुरु के आदेश का पालन कहां हो पाएगा? उन्होंने कहा था कि पुरानों की संभाल करना तो हमको तो सबकी संभाल करना है।

जीवात्मा किसे कहते हैं

जीवात्मा शरीर को चलाती है। यह परमात्मा की अंश है। जब मां के पेट में बच्चा पांच महीने दस दिन का हो जाता है तब यह डाल दी जाती है। तब से मां के पेट में बराबर रहती है और (बच्चे के मां के पेट से बाहर आने के बाद) भी (बच्चे के) शरीर में रहती है। जब सांसों की पूंजी खत्म हो जाती है, जो गिन करके खर्च करने के लिए मिली है, तब यह निकल जाती है। प्राण निकल जाते हैं तब तत्व नष्ट हो जाते हैं। फिर जीवात्मा भी निकल जाती है। उस समय जब निकलती है, एकदम बेहोश जैसी निकलती है। जब साधना में निकाली जाती है तब इसको होश रहता है और चित चिंतन करता है। नीचे वाले प्राण खींचते हैं फिर वापस शरीर में आ जाती है।

देश में बहुत बड़ा काम हुआ है

महाराज जी ने 8 जून 2021 प्रातः उज्जैन आश्रम में बताया कि गुरु महाराज जब अपने गुरु के स्थान को छोड़कर के इधर काम करने के लिए आए थे तो कुछ नहीं मिला था। जब गुरु महाराज के शरीर छोड़ने के बाद (मथुरा) आश्रम को छोड़े, उस स्थान से निकले तब हमारे पास भी कुछ नहीं था, जो कपड़ा पहने थे, वही था। हमको तो आप लोग मिल गए, आप इतने प्रेमियों ने सहयोग किया और देश में बहुत बड़ा काम हुआ है। वह तो जब जागृति आएगी, कोई आवाज इस तरह की लगेगी कि आप सब लोग चेतन हो जाओ, अब सब लोग एक साथ आ जाओ तब आप देखना, कम काम नहीं हुआ है। गुरु महाराज ने तीन यज्ञ किये थे। जब अन्न की कमी हो गई थी तब अयोध्या में यज्ञ किया था। फिर अहमदाबाद में, फिर काशी में यज्ञ किया। यज्ञ का महत्व अलग-अलग था। सन्तमत में कोई यज्ञ नहीं है लेकिन (समय की) जरूरत थी।

अहमदाबाद के यज्ञ में दर्शन देते थे, छोटा सा मंच बना हुआ था तो अतिथि लोग दर्शन करते थे, गुरु महाराज दो-दो घंटा सिर ठोकते आशीर्वाद देते थे तब कहते थे अभी तुमको मालूम नहीं है कि यह क्या हो रहा है। यह तो अभी वायरिंग हो रही है। जैसे घर में बिजली लाने के लिए तार लगाया जाता है, उसको कहते हैं वायरिंग। तो जब तार लगाया जाता है तब उसमें करंट नहीं रहता है। जब करंट दौडाया जाता है तब बल्ब जलता, पंखा चलता है। तो जब उनमें आवाज से करंट आयेगा तब देखना। प्रेमियों! आपके सहयोग से नौ साल में कम काम नहीं हुआ है। हर प्रांत में जगह-जगह पर स्थान, आश्रम बन गए। हर जगह, आश्रमों पर गुरु महाराज का फोटो लग गया। जहां जगह है वहां गौशाला, अस्पताल खुल गए। बहुत जगह से लोगों को नि:शुल्क भोजन बराबर कराया जा रहा है। जो भी काम हो रहा है सब नि:शुल्क हो रहा है। पब्लिक को एक पैसा भी लेना-देना नहीं रहता है। ऐसे पब्लिक के तमाम काम हो रहे हैं। यहां (उज्जैन आश्रम में) अस्पताल बना हुआ है। गुरु महाराज की दया कम नहीं है। 

दिल्ली में जो शाकाहारी सम्मेलन हुआ था उसमें 32 देशों के लोग आए थे। 32 देशों में गुरु महाराज का फोटो लग गया। वहां जयगुरुदेव नाम पहुंच गया और हर विदेशी आदमी कुछ न कुछ लोगों को समझाता ही है, जयगुरुदेव नाम के बारे में बताता है। कई देशों में जहां तक मैं गया, जहां तक नाम दान दिया, वहां पर संगत खड़ी हो गई। ध्यान, भजन, साप्ताहिक सतसंग करने, भोजन बांटने लग गए। कुछ जगहों पर तो आश्रम भी बना लिया। छोटा-मोटा मंदिर टाइप का बना करके सतसंग करने लग गए तो कम काम नहीं हुआ है। सब आपके सहयोग से, गुरु महाराज की दया से हुआ है। आपके अंदर मनोबल होना चाहिए। आपका मनोबल ऊंचा रहेगा, आपके अंदर यह इच्छा रहेगी कि गुरु महाराज के नाम, काम को बढ़ावें तो प्रेमियों बढ़ता जाएगा, कम नहीं होगा। सतसंग की धारा बह चुकी है, अब यह रुकने वाली नहीं है। लेकिन गुरु महाराज जिस छूटे हुए काम को आपके-हमारे उपर छोड़ कर गए हैं, अगर उसे तेजी से करना है तो आप काम करने वालों की टीम बनाओ और सहयोगी तैयार कर लो क्योंकि हर तरह के आदमियों की जरुरत देश और विदेश में है।

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