एसबीआई लाइफ इश्योरेंस को एक माह में दावा की राशि अदा करने के निर्देश

  • अनुचित व्यापार शैली पर आयोग ने 8000 रूपये का लगाया जुर्माना 
  • परिवादिनी मुकदमा दायर करने की तिथि से 6प्रतिशत ब्याज भी प्राप्त करेगी
  • उपभोक्ता संरक्षण आयोग का फैसला

बांदा। जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग के रीडर स्वतंत्र रावत ने बताया कि बांदा शहर के डीएम कॉलोनी सिविल लाइन निवासी श्रीमती कौशल देवी पत्नी स्वर्गीय पृथ्वीराज सिंह के द्वारा जुलाई 2015 में एसबीआई लाइफ इंश्योरेंस चिल्ला रोड बांदा डिप्टी मैनेजर मुंबई और हेड प्लेंस एसबीआई लाइफ इंश्योरेंस नवी मुंबई को पक्षकार बनाते हुए शिकायत दर्ज कराई थी कि उनके पति स्वर्गीय श्री पृथ्वीराज सिंह ने अपने जीवन काल में दिनांक 22 10 2012 को विपक्षी संख्या 1 एसबीआई लाइफ इंश्योरेंस कंपनी बांदा के कार्यालय से इस मार्ग पर फार्मर प्लान की पॉलिसी ली थी जिस पर ₹99000 भी अदा किया था जिसमें मृत्यु बीमा लाभ 693000 निर्धारित हुआ था। 

परिवादिनी के अधिवक्ता  शिव कुमार मिश्रा ने बताया कि परिवादिनी के पति श्री पृथ्वीराज सिंह की मृत्यु 14 जनवरी 2013 को भयानक ठंड के मौसम के कारण हो गई थी। उनके द्वारा विपक्षी संख्या एक के कार्यालय में बीमा क्लेम दावा से संबंधित सभी औपचारिकताएं पूर्ण की परंतु एसबीआई लाइफ इंश्योरेंस कंपनी के प्रबंधक के द्वारा उनका क्लेम स्वीकृत नहीं किया गया । परिवादिनी का कहना है कि विपक्षी का यह कृत्य अनुचित व्यापारिक शैली के अंतर्गत और सेवा में कमी को दर्शाता है ।फोरम के द्वारा विपक्षी गण  उपभोक्ता संरक्षण के तहत नोटिस जारी की गई। विपक्षी ने अपने लिखित जवाब दावा में कहा कि परिवादिनी के पति ने अपनी पुरानी बीमारी को छुपाया था। 

इसी कारण परिवाद निरस्त किए जाने योग्य है।जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग के न्यायाधीश अध्यक्ष तूफानी प्रसाद और सदस्य अनिल कुमार चतुर्वेदी की पीठ ने दोनों पक्षों के विद्वान अधिवक्ताओं की बहस सुनी कथा पत्रावली में लगे सभी अभिलेखों का विधिवत परिशीलन किया और 7 पृष्ठीय आदेश सुनाते हुए फैसला दिया कि परिवादिनी का परिवार विपक्षी गण के विरुद्ध आंशिक रूप से स्वीकार किया जाता है विपक्षी गण को आदेश दिया जाता है कि वह परिवादिनी को मृत्यु दावा की धनराशि 693000 एवं उस पर मुकदमा दायर करने की तिथि 2 जुलाई 2015 से अदायगी तक 6ः वार्षिक की दर से ब्याज भी देय होगी ।इसके अतिरिक्त मानसिक प्रताड़ना के रूप में 5000 व वाद् दायर करने के  में 3000 भी परिवादिनी विपक्षी गढ़ से पाने की अधिकार नहीं है उक्त आदेश का अनुपालन 1 माह के अंदर सुनिश्चित किया जाए अन्यथा परिवादिनी को अनुसार धनराशि वसूल करने का अधिकार होगा।



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