इस समय के जगे हुए नाम जयगुरुदेव को बोलते ही मालिक के पास आवाज पहुंच जाती है

  • जयगुरुदेव नाम की ध्वनि गुरु महाराज के रोम-रोम से निकलती है, अंतर साधना में पता चलता है
  • बाबा उमाकान्त जी ने बताया ग्रंथों में वर्णित 12 बुर्ज, 52 कंगूरे, 9 दरवाजे, खिड़कियां अनेक का भेद

उज्जैन (मध्य प्रदेश)। निजधामवासी बाबा जयगुरुदेव जी के आध्यात्मिक उत्तराधिकारी, इस समय के युगपुरुष, पूरे समरथ सन्त सतगुरु उज्जैन वाले बाबा उमाकान्त जी महाराज ने 26 जुलाई 2020 उज्जैन आश्रम पर दिए व अधिकृत यूट्यूब चैनल जयगुरुदेवयूकेएम पर लाइव प्रसारित संदेश में बताया कि जो मालिक को बराबर याद करते रहते हैं उनकी बचत का तरीका कोई न कोई निकल ही आता है। कोई समस्या, परेशानी हो और मालिक को याद करने की आदत बनी हुई है तो मालिक ही याद आएंगे। मालिक का जीता जागता नाम, जगाया हुआ नाम मुंह पर आ जाए तो तुरंत आवाज वहां पहुंच जाती है। जैसे इस समय पर यह जयगुरुदेव नाम है। जिसको रट जाता है मुसीबत में भी यही जयगुरुदेव नाम मुंह से निकलता है तो रक्षा, मदद हो जाती है। बहुतों ने आजमाइश करके देखा लेकिन विश्वास की बात है। लोग सुन तो लेते हैं लेकिन याद नहीं कर पाते हैं।

जयगुरुदेव नाम की ध्वनि रोम-रोम से निकलती है

जो साधना करते हैं वो गुरु महाराज के रोम-रोम से निकलती जयगुरुदेव नाम की ध्वनि को सुनते हैं। नाम दान के समय (अंतर के लोकों के) धनियों का नाम स्थान आवाज बताई गई। यह भी बताया गया कि बराबर यहां इस नाम की आवाज होती रहती है। तो धनिया के रोम-रोम से वह आवाज निकलती है और  पूरे वातावरण में फैल जाती है फिर जयगुरुदेवमय हो जाता है। इसी तरह से बहुत से लोगों को जयगुरुदेव नाम की महिमा का गहराई से पता लग गया है।

12 बुर्ज, 52 कंगूरे, 9 दरवाजे, खिड़कियां अनेक

12 बुर्ज क्या है? हर हाथ व पैर में 3-3 जोड़। 32 दांत और 20 नाखून हो गए 52 कंगूरे। और 9 दरवाजे- दो आंख, दो कान, दो नाक के सुराख ,एक मुंह, एक-एक मल व मूत्र त्याग करने का रास्ता। और खिड़कियां अनेक। गोस्वामी जी ने कहा है-

इंद्री द्वार झरोखा नाना। तहँ तहँ सुर बैठे करि थाना।।

आवत देखहिं बिषय बयारी। ते हठि देहिं कपाट उघारी।।

इस काल के देश में देवताओं को बना कर रोम-रोम में बैठा दिया ताकि जीवात्मा निकल न पावे। हर रोम के पास में सुराख है। अब कौन इनको गिन सकता है कि कितने रोम है शरीर में। बहुत हैं। इंद्री द्वार झरोखा नाना। झरोखा, दरवाजे खिड़की को कहते हैं। पहले हवा क्रॉस करे, ठंडा रहे उसके लिए महलों में खिड़कियां लगवाते थे। जैसे जयपुर का हवा महल। ऐसे ही पूरे शरीर में बहुत सी खिड़कियां है। वह मालिक सबसे ऊपर बैठा हुआ है। दोनों आंखों के बीच में उसका स्थान है। और वही से आवाज लगा रहा है कि इधर आ जाओ, मैं तुमको बुला रहा हूं। लेकिन यह जीवात्मा उसकी आवाज को पकड़, सुन नहीं पा रही है। तो वह तो बहुत ऊपर है लेकिन उसके लिए जितने भी जीव हैं, सब बहुत नजदीक है। वह तो वहीं से देखता रहता है और वही से धार देता रहता है जीवों को। अपनी आवाज के जरिए जिंदा रखता है जीवात्मा को।

बाबा उमाकान्त जी के आगामी प्रस्तावित सतसंग व नामदान कार्यक्रम

20 नवंबर 2022 को दोपहर 12 बजे से नरेसंस ब्लू मैरिज लॉन, बक्शी के तालाब से 2 किलोमीटर आगे, सीतापुर रोड, लखनऊ में समय परिस्तिथि अनुकूल रहने पर होगा।

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