शराब, आंखों से मां-बहन-बेटी की पहचान कर देती है खत्म, मत पियो
उज्जैन (म.प्र.)। स्वाद के लिए और जान-अनजान में अंडा, मांस, मछली का सेवन कर विधि के विधान के अनुसार पाप कर्मों में लिप्त होते फिर उसकी सजा भोगते हुए और तकलीफ में यह बात कहने वाले कि मैंने तो किसी के साथ बुरा नहीं किया फिर मेरे साथ बुरा क्यों हो रहा है, ऐसे मनुष्य को सरल शब्दों में समझा-बता कर पाप और उसकी सजा से बचाने वाले इस समय के दुःखहर्ता पूरे समर्थ सन्त सतगुरु उज्जैन वाले बाबा उमाकान्त जी ने उज्जैन आश्रम पर आयोजत होली कार्यक्रम में 8 मार्च 2020 को दिए व यूट्यूब चैनल जयगुरुदेवयूकेएम पर प्रसारित संदेश में बताया कि मांस, मनुष्य का भोजन नहीं है। आहार, आहार को खाता है। आदमी को नुकसान करने वाले कीड़ों को मुर्गी खाती हैं। और जब आदमी मुर्गी, बकरा, भैसा, गाय, सुअर को खाता है तो बीमारियों का आना स्वाभाविक है। मछली क्या है? तालाब की सफाई के लिए बनाई गई। कोई भी मुर्दा गाय भैंस सुअर बहकर आता है तो उसको मछली खाती है। जब आदमी उनको खाएगा तो स्वस्थ रह ही नहीं सकता, बीमारियों का हमला तो होना ही होना है।
मुर्गी उन कीड़ों को खाती है जो मनुष्य को नुकसान पहुंचाते हैं
मुर्गी के सामने कीड़े के ऊपर मलाई, रबड़ी, मिठाई लगाकर के फेंक दो तो कीड़े को पकड़ेगी और हिलाकर के जब रबड़ी मलाई गिर जाती है फिर कीड़े को खाती है। आदमी जब मुर्गीयों को ही खाने लग गए तो जो कीड़े मनुष्य को नुकसान करते हैं, बीमार करते हैं, बीमारी फैलाते हैं तो आदमी के अंदर जहर पैदा होगा, अंदर गंदगी पैदा होगी ही तो बीमारियों का आना स्वभाविक हो गया। इसलिए मुर्गी मत खाओ, अंडा मत खाओ।
मुर्गियों का खराब खून और टट्टी-पेशाब के हिस्से से मिलकर बनता है अंडा
अंडा क्या है? माताएं जब मासिक धर्म होती हैं, खराब खून जब इकट्ठा हो जाता है तो बच्चा बन जाता है। मुर्गियों का खराब खून और उनके टट्टी-पेशाब का खराब हिस्सा जिसको मल-मूत्र कहते हो, जब इकट्ठा हो जाता है तो वही अंडा बन जाता है। बहुत गंदी चीज है। बाहर से देखने में तो चिकना, सुंदर लगता है लेकिन अंदर का माल गंदा होता है। कितना भी डॉक्टर टर्र-टर्र करता रहे, अंडा बच्चों को मत खिलाना और न आप लोग खाना। बड़े-बड़े डॉक्टर फेल हो रहे हैं। डॉक्टरों को भी बीमारी हो रही है। सन्त-महात्माओं की बात को जब लोग नहीं मानते हैं तो फिर लोगों को भोगना ही पड़ता है। जान करके आप गलती मत करो।
तिलभर मच्छी खाई के, कोटि गऊ करै दान। काशी करवट ले मरे, निश्चय नर्क निदान।।
मछली क्यों नहीं खाना चाहिए
मछली क्या है? तलाब के सफाई के लिए बनाई गई। कोई भी गंदी चीज तालाब में डाल दो, मछली खा जाती है। कोई कुत्ता गाय बैल भैंस सुअर बहकर चला जाए, मछली उसको खाएगी। मछली मर करके पानी के ऊपर तैरती है तो गिद्ध और कौवा खाते हैं। गिद्ध और कौवा का खाना जब आदमी खाएगा तो बताओ स्वस्थ रहेगा? नहीं रह सकता है तो बीमारियों का हमला होना ही होना है। जीव हत्या करने वाले को बहुत बड़ा पाप लगता है। पाप से बचना चाहिए। अपना शरीर शुद्ध रखो। इसके अंदर बीमारी न आवे। मन-चित सही रहे। इसलिए इन गंदी चीजों को मत खाना।
शराब, आंखों से मां-बहन-बेटी की पहचान कर देती है खत्म
शराब में एक हजार बुराईयां है। शराब जो पीता है, वह मांस खाता है, व्यभिचार करता है, खून-कत्ल भी करता है, बाल-बच्चों को भी मारता है, होश-हवास को गवां देता है, जमीन-जायदाद को बेच देता है, वादाखिलाफी और भी न जाने क्या-क्या बुरा कर्म करता है। एक हजार बुराईयों वाली शराब को नहीं पीना चाहिए। इससे बचो और लोगों को भी बचाओ।
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