दुनिया का प्रेम दु:ख भरा होता है - बाबा उमाकान्त जी

कोई एक गिलास पानी भी पिला दिया तो आपको किसी न किसी रूप में देना पड़ेगा

उज्जैन (म. प्र.)। जीव के जन्म-जन्मान्तर के जमा कर्मों को ख़त्म करने वाले, कई लोगों से पिछले कई जन्मों के हमारे लेन-देन को आसान तरीके से अदा करवा कर जीवात्मा को कर्म बन्धनों से मुक्त करवाने वाले, इस दुःख की दुनिया का कड़वा सच बताने वाले, अपने प्रेमियों से प्रचार करवा कर ज्यादा से ज्यादा लोगों को प्रभु से जोड़ने-जुडवाने वाले, इस वक्त के महापुरुष, पूरे समरथ सन्त सतगुरु, परम दयालु, त्रिकालदर्शी, दुःखहर्ता, उज्जैन वाले बाबा उमाकान्त जी महाराज ने 31 अक्टूबर 2020 प्रातः उज्जैन आश्रम में दिए व अधिकृत यूट्यूब चैनल जयगुरुदेवयूकेएम पर लाइव प्रसारित संदेश में बताया कि गुरु महाराज भी कहते थे कि चिड़िया कि तरह से उड़ जाओ। और जब तक उम्र है लेना-देना जल्दी से अदा कर लो। किसका? परिवार वालों का, रिश्तेदारों पत्नी, पति, पुत्र, दोस्त आदि का लेना देना होता है। कोई एक गिलास पानी पिला दिया तो समझ लो आपको भी (उसे) पिलाना पड़ेगा, आपको किसी न किसी रूप में उसको देना पड़ेगा। उसको भी अदा कर लो। निकल चलो (इस दुःख के संसार से)। (यह) देसवा वीराना है। दूसरे का, काल भगवान का (यह) देश है। आपका देश नहीं है। योग करो, साधना करो।

अपने देश अपने घर की बराबर याद बनाए रखो कि हमको जाना है, वहां हमको पहुंचना है। हमारे प्रियतम, पति, भगवान, पिता अलग हैं। यह भगवान, मिट्टी-पत्थर का भगवान, यह पेड़-पौधे का भगवान, जिसको आपने भगवान मान लिया, गंगा-जमुना जिसको आपने मां मान लिया, न तो यह आपकी मां है न यह आपके भगवान हैं और न जिनको पिता-पुत्र-पति माना, यह कोई कुछ नहीं। यह तो थोड़े समय का रिश्ता है। यह तो लेना-देना है। रिश्ता, कर्तव्य आप निभा लो। कर्तव्य का पालन कर लो। उसकी मनाही नहीं है। लेना-देना न रह जाए। आशा आपकी सब पूरी हो जाए। आप जरूरत भर की चीजों का उपयोग, जो सन्तमत के हिसाब से जायज है, उनका आप कर लो। किसी चीज की आशा न रह जाए। उसके बाद (इस मृत्यु लोक से) निकल चलो। फिर लौटकर के इस दु:ख के संसार में मत आओ।

दुनिया का प्रेम दु:ख भरा होता है

महाराज जी ने 13 नवंबर 2020 प्रातः उज्जैन आश्रम में बताया कि यह दुनिया का, पुत्र परिवार स्त्री पुरुष आदि का प्रेम दु:ख भरा होता है। और उसके (मालिक के, प्रभु के) प्रेम  में सुख मिलता है, आनंद आता है। इस प्रेम में बहुत ही दु:ख है। कहा गया है- लव

L-O-V-E 

  • L- Lake of sorrow
  • O- Ocean of misery
  • V- Valley of tears
  • E- End of life.

तो इसी में आदमी खत्म हो जाता है। इस प्रेम में सुख नहीं है। इसमें दु:ख ही दु:ख, रोना ही रोना है। और जो प्रभु मालिक से प्रेम है, वह निर्मल निश्चल प्रेम होता है। कपटी प्रेम नहीं होता है। यहां पर यह प्रेम कपटी हो गया, मन दूषित कर दिया। अब पहले जैसा भी वातावरण नहीं रह गया। तो समझो कि दुखों की, आंसुओं की झीलें है इसी में डेड़ (मृत) हो जाता है, आदमी का जीवन इसी में खत्म हो जाता है। और उसमें नया जीवन शुरू हो जाता है।

प्रचार का अब यह तरीका अपनाओ

महाराज जी ने 12 नवंबर 2020 दोपहर उज्जैन आश्रम में धनतेरस को बताया कि अभी तक तो आप का प्रचार का तरीका दूसरा था लेकिन अब यह तरीका अपनाओ। नामदान के बारे में जब आप बताओ तब आप मांस, मछली, अंडा, शराब का सेवन न करने का, वहीं छोड़ देने का संकल्प बनवा करके तब आप नामदान दिलाओ। नहीं तो यह गलती करेंगे। नाम दान लेने के बाद भी यह खाने-पीने लगेंगे। आप तो पकड़ कर ले आओगे। चलो तुम्हारी बीमारी ठीक हो जाएगी, तकलीफ दूर हो जाएगी। तकलीफ इतनी जल्दी जाने वाली नहीं है कि एक बार कोई सुन लेगा और नामदान ले लेगा तो उसकी तकलीफ दूर हो जाएगी। जन्म-जन्मांतर के कर्मों का पाप और एक दिन की धुलाई में कैसे साफ होगा? कपड़ा इतना गंदा हो जो एक दिन के धोने से साफ नहीं होता है, उसे बार-बार धोना, साफ करना, रगड़ लगानी पड़ती है। तो एक दिन के सतसंग से कैसे (जन्मों से जमा कर्मों की) गंदगी साफ हो जाएगी? तो जब वापस लौट कर जाएगा, राहत तो मिलेगी बीमारी तकलीफ में, लेकिन तकलीफ जब नहीं जाएगी तो फिर उसी के पास पहुंच जाएगा, डॉक्टर के पास कि अंडा खाने, मांस का बूटी खाने से ताकत आएगी। 

यह बीमारी जाएगी तो फिर वही अपना लेगा। अगर वह यह बता दे कि तुम गांजा भांग अफीम खा पी लो तो नींद आ जाएगी, तकलीफ कम हो जाएगी और फिर वही करने लग गया तो फिर उसको सजा मिल जाएगी। कर्म उसके एक बार तो धुलेंगे, कमी तो आएगी लेकिन फिर गंदा हो जाएगा तो तकलीफ आ जाएगी। इसलिए वहीं से (प्रचार में ही) समझाओ, बर्तन को वहीं साफ करने की कोशिश करो। दोबारा न गंदा हो, उसके लिए उससे संकल्प बनावा लो कि तुम चलो, सतसंग सुनो, नाम दान लो लेकिन शाकाहारी नशा मुक्त रहने का, जिसको तुम अभी तक पाप नहीं समझ पाए थे और आज आप समझ गए हो, सतसंग में पाप समझ लेना और उसको नहीं करने का। तो धीरे-धीरे भजन करते रहोगे तो गंदगी साफ होती रहेगी, ध्यान लगाते रहोगे, याद करते रहोगे उसको तो किसी दिन आवाज पकड़ में आ जाएगी, वो मालिक देख लेगा आपकी तरफ तो साफ हो जाओगे।

जितने भी देश-विदेश के सतसंगी हो, ध्यान लगा करके सुन लो

आप लोग जिस आदमी को पकड़ो, चाहे एक दिन में एक ही आदमी को समझाओ तो उसको बिल्कुल पक्का कर दो। जिसको आप समझते हो यह आदमी ठीक है, सच्चा ईमानदार खरा परोपकारी सेवाभावी लेकिन केवल शराब पीने की आदत, मांस मछली अंडा खाने की आदत है, जिस दिन यह आदत हम छुड़ा ले जाएंगे तो यह आदमी बहुत अच्छा बन जाएगा, भजनानंदी, आध्यात्मिक, देश समाज की सेवा करने लायक हो जाएगा, उसके पीछे लग भी सकते हो। बराबर समझाते रहो। समझाते-समझाते समझ में आ जाता है। बताते रहो। जयगुरुदेव नाम के बारे में, वक्त के महात्मा महापुरुष सतगुरु के बारे में बताते रहो। जरूरत पड़े तो आप परीक्षा दिला करके दिखाते रहो। तो विश्वास हो जायेगा। (मांसाहार, नशा) छोड़ देगा। तो आप प्रयास इस तरह से करो। ऐसे नहीं कि पकड़ के ले आओ, चलो-चलो, सुन आओ, सुन आओ तो चले आते थे। 

चलो तुम्हारी तकलीफ दूर हो जाएगी, यह हो जाएगा, वो हो जायेगा। अब वह हो तो जाता था लेकिन फिर (बाद में) वही कर्म करने लगते हैं तो उनका विश्वास कम हो जाता था। लेकिन अब प्रयास में करो बदलाव। आप ठोस काम करो, ठोस समाज बनाओ, अच्छे लोगों का एक समाज बनाओ। बुरे लोग अगर नहीं मानते तो उनके पीछे बहुत पड़ने की जरूरत नहीं है। कान में आवाज डाल दो, अपनी तरफ से समझा दो, नहीं मानते तो कोई और मनाएगा। उनको समय मनाएगा। जिसका यह देश है, जिसकी यह व्यवस्था है, वह मनायेगा। आपकी न माने, आपके गुरु की न माने, वक्त के महापुरुष की न माने तो उनको छोड़ दो। अब वह समय नहीं है कि अपना समय गवाओं। और भी अच्छे लोग बहुत से हैं जहां तक आप पहुंच नहीं पाते हो, जिनके कान तक आवाज नहीं पहुंचा पाते हो। एक ही बार में समझाने पर उनके समझ में आ जाएगा, नाम दान लेकर वह भजन करने लग जाएंगे, उन तक आप पहुंचने की कोशिश करो।

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