बुद्धिजीवी वर्ग से जयगुरुदेव बाबा उमाकान्त जी महाराज की क्या है प्रार्थना, आइए जानें

जयगुरुदेव नाम ध्वनि बोलने से कर्मों की मिल रही सजा, रोग में आराम मिलेगा

देहरादून (उत्तराखंड)। अपने प्रेमियों में वीरता, विद्वता भरने वाले, जीवात्मा को मुक्ति मोक्ष दिलाने वाले, प्रभु का साक्षात्कार कराने वाले, जयगुरुदेव नाम ध्वनि के रूप में कर्मों की मिलने वाली अटल सजा से भी बचाने वाले, सभी को अपने-अपने कर्तव्यों कि याद दिला कर मानव, समाज, देश और पूरी मानवता का भला करने वाले, निजधामवासी बाबा जयगुरुदेव जी के आध्यात्मिक उत्तराधिकारी, इस समय के महापुरुष, पूरे समरथ सन्त सतगुरु, त्रिकालदर्शी, दुःखहर्ता, लोकतंत्र सेनानी, उज्जैन वाले बाबा उमाकान्त जी महाराज ने 14 जून 2023 सायं देहरादून में दिए व अधिकृत यूट्यूब चैनल जयगुरुदेवयूकेएम पर लाइव प्रसारित संदेश में बताया कि भारत केवल वीर, बहादुर और विद्वानों का देश ही नहीं कहलाया बल्कि यहाँ समय-समय पर सन्त महात्मा आते रहे है, लोगों में वीरता, विद्वता भरते रहे है और मनुष्य शरीर को चलाने वाली जीवात्मा के मुक्ति मोक्ष का रास्ता बताकर उनको जीते जी प्रभु परमात्मा से साक्षात्कार भी करवाते रहे हैं। बाबा जयगुरुदेव जी महाराज भी उन्ही सन्तों में से एक थे।

जयगुरुदेव नाम ध्वनि से कर्म रोग कटेंगे

जब बाबा जयगुरुदेव जी आए, उन्होंने जयगुरुदेव नाम जगाया। गुरु लेते क्या है? जो कोई न ले, आपकी अंतरात्मा की गंदगी को लेकर साफ करते हैं। गुरु महाराज ने जयगुरुदेव नाम का प्रचार किया और इस नाम से लोगो को फायदा हुआ मुसीबत में मदद मिली। गुरु महाराज हमको अपना काम सौंप के गए। मैंने देखा, घर-घर में बीमारी, लड़ाई-झगड़ा, ईर्ष्या-द्वेष, वैमनस्यता बढ़ रही है। कुछ कुरीतियां ऐसी फ़ैल गई है जिससे हर कोई दुखी है तो मैने जयगुरुदेव नाम की ध्वनि मंच से ही बतानी शुरू कर दी। मौसम के बदलाव और खाने-पीने की बदपरहेजी से हुआ रोग दवा से ठीक हो जाता है पर जान-अनजान में बने कर्म की वजह से हुए रोग को भोगना ही पड़ता है।

बुद्धिजीवी वर्ग से प्रार्थना

आप बुद्धि जीवी लोगों से हमारा निवेदन है कि आप अनुभवी बुद्धिमान हो, आप समाज में सुधार लाने की योजना बना लो, बुद्धि विवेक आपका लग जायेगा तो हमारे प्रेमी आपका सहयोग कर देंगे, मेहनत कर लेंगे, अच्छे कार्य के लिए धन से भी मदद कर देंगे। तारीफ की बात नहीं है, ये अभी भी जन हित के कार्य अनवरत कर रहे है। भोजन भंडारे भी चलाते है, चिकित्सा सुविधा भी उपलब्ध कराते है, जरूरतमंदों को कंबल का वितरण भी करते है -सब नि:शुल्क। इन छोटे-छोटे आदमियों ने धन इकट्ठा करके बड़े -बड़े कार्यों को किया और इनकी आमदनी भी बढ़ गई क्योंकि उस मालिक का नियम है कि वो एक का दस देता है। अतः ये आपका हर प्रकार से सहयोग कर देंगे। बाबा उमाकान्त जी ने उपस्थित प्रबुद्ध नागरिकों से प्रार्थना कि की अधिकारी वर्ग के लोग आम जनता को अपने बच्चे की तरह से समझ कर उनका काम करें तो आपके स्वयं के बच्चे भी काबिल निकल जायेंगे। बुद्धिजीवी वर्ग जो कि वकील जज है वो अपने उसूलों के पक्के बने रहेंगे और अपना काम करेंगे तो आपकी समाज में इज्जत बढ़ेगी। पत्रकारों की एक मर्यादा होती है। आप कोशिश करें कि आपके माध्यम से वास्तविकता खत्म न हो। डॉक्टर अपने प्रिस्क्रिप्शन (पर्चे) में ताकत के लिए गलत खान-पान की चीजें (अंडा मांस आदि) न लिखें, ताकत तो भीगे चने, मूंगफली, सोयाबीन में मिलती है गलत खानपान में नहीं।

जिस नाम की महिमा ग्रंथों में गाई गयी है, उसी वक़्त के नाम से कल्याण होगा

अपनी जीवात्मा के कल्याण के लिए भी कुछ करना चाहिए वर्ना ये नरकों और चौरासी में फंस जायेगी। कीड़ा मकोड़ा सांप बिच्छू कुत्ता बिल्ली आदि चौरासी लाख योनियों, गाय-बैल की योनि के बाद मनुष्य जन्म मिलता है। कोटि जन्म जब भटका खाया, तब यह नर तन दुर्लभ पाया। चौबीस घंटा इस शरीर के लिए ही न करो, कुछ समय अपनी जीवात्मा के लिए भी निकालो। खेती दुकान दफ्तर बाल बच्चों की सेवा करने के बाद कुछ समय निकाल कर जो (पांच) नाम आपको (नाम दान में) बताए गए हैं, उनका जाप करो। जिसके लिए गोस्वामी जी ने कहा है- कलयुग केवल नाम आधारा, सुमिर सुमिर नर उतरहि पारा। नाम लेत भव सिंधु सुखाही सुजन विचार करो मन माही। जिसके लिए रामायण में लिखा है- कह लग करू मैं नाम बड़ाई, राम न सकही नाम गुण गई। महापुरुषों का साथ हमेशा छोटे-छोटे लोगों ने दिया। अयोध्या में एक से एक विद्वान, ज्योतिषी थे। वे सोच विचार और उधेड़बुन में ही रह गए लेकिन राम को काम करना था तो उन्होंने बंदर-भालूओं को इकट्ठा किया और गुरु की शरण में रहकर जो गुण और सिद्धियां सीखीं थी, उनसे ताकत आ गई। बंदर-भालुओं को विश्वास दिलाने के लिए राम नाम का महत्व बताया और राम नाम पत्थर पर लिख कर पानी पर पुल बना दिया। ऐसे ही इस समय के जगे हुए नाम की जरुरत है।

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ