बहुत से लोग अगला रक्षा बंधन नहीं देख पाएंगे, बहुत अकाल मृत्यु होगी, बचने का उपाय ले लो
प्रचार प्रसार क्यों कराया जाता है की लगे रहो, कर्म काटते रहो, मलिक को याद करते रहो
उज्जैन (म.प्र.)। आगे आने वाले बुरे समय को पहले ही देखते हुए सावधान करने वाले, उससे बचने का उपाय एडवांस में सबको बताने वाले, परेशानी तकलीफ आने ही न पावे ऐसा मजबूत बढ़िया तरीका बताने वाले, पुराने कर्म आसानी से कटवाने वाले, इस वक़्त के युगपुरुष, पूरे समरथ सन्त सतगुरु, त्रिकालदर्शी, दुःखहर्ता, उज्जैन वाले बाबा उमाकान्त जी महाराज ने रक्षाबंधन कार्यक्रम में 29 अगस्त 2023 सायं उज्जैन आश्रम में दिए व अधिकृत यूट्यूब चैनल जयगुरुदेवयूकेएम पर लाइव प्रसारित संदेश में बताया कि अगले रक्षा बंधन तक बहुत से लोग ऐसे हैं कि जो रक्षा बंधन नहीं देख पाएंगे। अकाल मृत्युएं होंगी। जिसकी आप कल्पना नहीं करते हो कि ये दुनिया से चला जाएगा, ऐसे लोग आप को अगले रक्षाबंधन में नहीं दिखाई पड़ेंगे। विनाशकारी लीलाएं होंगी। कैसे भी हो, चाहे कुदरत विनाश करे, चाहे आदमी की ही बुद्धि खराब हो जाए, चाहे ये अराजक तत्व समाज में इस तरह की स्थिति पैदा कर दे कि आदमी उसी में मर जाए, मार दिया जाए, आत्मा हत्या कर ले तो ऐसी स्थिति में ऐसा रक्षा का बंधन, ऐसी रक्षा अगर लोगों को नहीं बांधी जायेगी तो पता नहीं कब कौन चला जाए। गेहूं के साथ घुन भी पिस जाते हैं तो क्या मालूम सतसंगी भी दुष्टों के साथ पड़ जाएं, और उनके साथ भी धोखा हो जाए, इसलिए ये रक्षाबंधन कार्यक्रम मनाया जाएगा।
साथ का असर आता है
पाप का, पड़ोसी का, गांव का, एरिया का, साथ का असर आता है। इसलिए कहा जाता है कि अच्छे का साथ करो, लोगों को अच्छा बनाओ। गांव के लोगों को अच्छा नहीं बनाओगे और गांव में ही दुष्ट निकल गए और गांव में ही दंगा करा दिया, आग लगवा दिया तो आपका घर भी प्रभावित होगा, आपके भी जानवर जलेंगे, आपको भी गांव छोड़ कर भागना पड़ेगा। इसलिए कहा जाता है कि दुष्ट को संभालते रहो, समझाते रहो, दुष्टता छुड़वाते रहो, शाकाहारी-नशामुक्त लोगों को बनाते रहो। जैसे किसी शराबी ने हत्या कर दी तो गांव के लोगों को फिक्र हो जाती है कि आज तो उसने अपने मां, पत्नी और लड़के की हत्या कर दी, इस तरह का शराबी है तो कल हमारे बच्चों की हत्या न कर दे। चिंता और फिक्र तो हो जाती है। पुलिस फोर्स ही आ गई तो निकलना, चलना-फिरना मुश्किल हो जाता है। टट्टी-पेशाब के लिए भी जाते हैं तो भी उनकी नजर रहती है कि कौन आया और कौन गया। परेशानी तो आती है। तो ऐसी परेशानी क्यों होने दें?
प्रचार प्रसार के लिए समय निकालो
बराबर उनको समझाते रहो। प्रचार-प्रसार करो। शहरों में लोगों को कम समय मिलता है। बराबर लोग दौड़ते हैं जबकि मौत सत्य है। जहां आ जाएगी, वहीं शरीर गिर जाएगा। आदमी ने विश्वास ही खत्म कर दिया। उस प्रभु पर, अपने बाहुबल, भुजा, मेहनत और ईमानदारी की कमाई, प्रारब्ध पर से विश्वास ही हटता चला जा रहा है। चाहे आप शहरवासी हो, नौकरी, मजदूरी करते हो तो सुधारना तो उनको भी पड़ेगा। कर्फ्यू लग जायेगा तो आप घर से निकल पाओगे? आपको भी उसी तरीके से झेलना पड़ेगा, कमरे में बंद रहना पड़ेगा। मानो बीमारी ही फैल गई, जैसे कोरोना फैला था, तो आपको भी झेलना पड़ा था। इसलिए उनको भी चेताते, बताते, समझाते रहो। आपके पास जो भी कम समय है, उसी में आप करो।
आज ही प्रचार की योजना बना लो। सुबह प्रभात फेरियां निकालते थे, तो जब से जाने लगे बताया कि घुटने का दर्द ठीक हो गया, आंख की रोशनी तेज हो गई, नंगे पैर जाने लग गए एक्यूप्रेशर अपने आप होने लग गया, गैस की बीमारी रफूचक्कर हो गई। तमाम लोगों ने बताया बहुत फायदा हो रहा है, बहुत स्वस्थ हो गए। इस शरीर को भी फायदा और मुंह से जो आवाज निकलेगी, जयगुरुदेव नाम निकलेगा, लोगों के कान तक पड़ेगा तो लोगों के विचार, भावनाएं बदलेंगी। जैसे एक तीर में सौ शिकार, उसी तरह से काम होता है। जैसे पत्तों को बाँधने वाला बर्बरीक का बाण, ये वो काम है। तो बराबर ये योजना आप बनाओ और प्रभात फेरियां शहर के लोग निकालो। सुबह उठ जाओ, निकल जाओ, फिर आप आओ, अपना और काम, दैनिक क्रिया कर लो। फिर दुकान खोल लो, दफ्तर, मजदूरी के लिए चले जाओ, बहुत समय रहता है। और ठंडी में जब रात बड़ी होने लगेगी तो और खूब समय मिलेगा आपको। गांव के लोगों को सुबह-शाम काम रहता है। दूध निकालना, जानवरों को देखना आदि।
रात को शहरों में प्रचार में भी चले जाते हैं, (किसी) गांव में उजाला नहीं रहता तो आप दिन में प्रचार की आदत डालो। दिन में जब मौका मिले तो अपनी टीम बुला लो और गांव में फेरी लगा आओ, प्रचार कर आओ। अगल-बगल के गांव में जहां भी सतसंगी हों, उनको जगा-बता दो कि अध्यात्म क्या होता है, प्रभु क्या होता है, प्रभु की दया कैसे ली जाती है। कुछ न बता पाओ, गीता रामायण की बात न कह पाओ, कोई सतसंग आप न सुना पाओ तो आप के ऊपर जो बीती है, आप जो कठिनाइयों से निकले हो, आपका दु:ख तकलीफ जो दूर हुआ है, गुरु की दया जो आपको मिली है, यही बात उनको बताते रहो तो कम से कम विचार-भावनाएं तो बदलेंगी, भगवान को लोग याद तो करेंगे। नहीं तो भगवान ही याद नहीं अपने बल, विद्वता विद्या के अहंकार में मस्त हैं जो परमार्थ में कोई काम आने वाली नहीं है। वो प्रभु याद तो आने लगेंगे प्रचार से। इसलिए बराबर इस बात का ध्यान रखना रहेगा।
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