झगड़ा-झंझट को टालो, खराब समय को निकालो - बाबा उमाकान्त जी

माया का अंश लक्ष्मी लोगों को धन में फंसाए रखना चाहती है

शिव गांजा भांग के नहीं बल्कि भक्ति और प्रेम के नशे में रहते हैं

उज्जैन (म.प्र.)। आने वाले बहुत ही ख़राब समय से समय रहते आगाह करने वाले, बचने का उपाय बताने वाले, सन्तों को कर्मों की माफ़ी का अधिकार होता है तो माफ़ी कराने का तरिका बताने वाले, इस समय के महापुरुष, पूरे समरथ सन्त सतगुरु, दुःखहर्ता, अन्तर्यामी, लोकतंत्र सेनानी, उज्जैन वाले बाबा उमाकान्त जी महाराज ने 4 मार्च 2019 प्रातः लखनऊ में दिए व अधिकृत यूट्यूब चैनल जयगुरुदेवयूकेएम पर लाइव प्रसारित संदेश में बताया कि शिव का तांडव शुरू न होने पाए। तांडव कभी भी शुरू हो सकता है। इस समय जो परिस्थितियां बनी हुई हैं, उस हिसाब से विनाश के कगार पर आदमी खड़ा हुआ है। भारत ही नहीं, पूरा विश्व बारूद के ढेर पर खड़ा हुआ है। कभी भी आग लग जाए, ध्वस्त हो जाए। इसीलिए बहुत ही सजग रहने की जरूरत है। इस समय पर ज्यादा लोभ लालच में मत पड़ो प्रेमियों। मेहनत और ईमानदारी की कमाई पर भरोसा रखो। इसमें बरकत मिलेगी। आप किसान, व्यापारी, अधिकारी, कर्मचारी, राजनेता आदि हर तरह के लोग यहां बैठे हुए हैं। आप अपने हिसाब से, जहां पर भी हो, उस धर्म का पालन करो। गृहस्थ धर्म का पालन करो।

झगड़ा झंझट को टालो खराब समय को निकालो

महाराज जी ने 31 अक्टूबर 2020 प्रातः उज्जैन में बताया कि जो कुछ भी बात हमको कहने की होती है, हम संगत में, सतसंग में ही बोल देते हैं। और स्पष्ट रूप से बोल देते हैं कि जिसमें उसमें कुपत (गलत समझना, अन्य अर्थ लगाना आदि) वाली बात न रह जाए। तो आप घर-परिवार-समाज सब के विवाद से बचो। विवाद को, झगड़ा-झंझट को टालो, खराब समय को निकालो। फिर अच्छा समय जब आ जाएगा तब विवाद नाम की चीज ही नहीं रह जाएगी। यह गंदगी नहीं रह जाएगी। जगह-जगह अपराधिकरण जो हो रहा है, यह सब खत्म हो जाएगा, सुख शांति आ जाएगी।

शंकर जी भक्ति और प्रेम के नशे में रहते हैं

महाराज जी ने 12 नवंबर 2020 दोपहर उज्जैन में बताया कि शंकर जी गांजा भांग धतूरे का नशा नहीं करते हैं। वह तो दूसरे नशे में रहते हैं। भक्ति और प्रेम के नशे में रहते हैं। और उनको जो संहार का काम मिला हुआ है उसे करते ही करते हैं। उनको तो करना ही करना है। कर्मों का विधान जब से बना तब से कर्मों की सजा मिलनी ही मिलनी है। सबको मिलती है। यह जरूर है, जो उनकी पावर में होता है, उसमें थोड़ी रियायत कर देते हैं। जैसे किसी सिपाही को हुकुम हो गया कि जाओ मुजरिम को पकड़कर के ले आओ। खुश अगर होगा तो मारपीट नहीं करेगा, गाली गुप्ता नहीं देगा लेकिन मुजरिम को पकड़कर के थाने पर ले ही जाएगा। रास्ते में, जज के सामने पेश करते समय तकलीफ, सजा नहीं देगा, प्रेम से ले जाएगा। तो वह उतना ही कर सकता है। सजा से मुक्ति नहीं दिला सकता है। सजा को कौन माफ करता है? सजा को जज ही माफ करता है। (कर्मों की सजा को वक़्त के समरथ सन्त सतगुरु ही माफ़ कर सकते हैं)

माया का अंश- लक्ष्मी लोगों को धन में फंसाए रखना चाहती है

माया का अंश लक्ष्मी है। लक्ष्मी को क्या करना है? लक्ष्मी को लोगों को धन देकर उसमें फंसाए रखना है, उसी में मन इनका लगाए रखना है। भजन भाव भक्ति की तरफ इनका दिमाग न जाए तो वह उसमें बढ़ोतरी करती जाती है। कहा गया है- मोह न नारी नारी कर रूपा, पन्नगारि यह चरित अनूपा। माया और भक्ति यह दोनों इकट्ठा नहीं रहती है। ये सौतन है। तो जब माया बढ़ जाती है तो भक्ति करने का मौका नहीं मिलता है। लालच इस कदर बढ़ जाती है कि एक का दो, दो का दस, दस का सौ, सौ का हजार, फिर लाख करोड़ अरब खराब की तरफ यह मन दौड़ने लगता है। तो उसी में फंसाए रखना चाहती है।

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