बाबा उमाकान्त जी ने बताये खाने-पीने, आने-जाने, दिशा, पाचन आदि के देसी नुस्स्खे

उज्जैन कर्मों को चुकाना पड़ता है, उसके अनुसार सजा भी भोगनी पड़ती है तो सब लॉ ऑफ़ कर्मा को जानने और जनाने वाले, उससे बचने का तरीका भी बताने वाले, देसी नुस्स्खे बता कर शारीरिक लाभ भी पहुंचाने वाले, सृष्टि की रचना उत्पति के भेद खोलने वाले, इस समय के युगपुरुष, पूरे समरथ सन्त सतगुरु, दुःखहर्ता, उज्जैन वाले बाबा उमाकान्त जी ने 31 दिसंबर 2020 दोपहर उज्जैन आश्रम में दिए व अधिकृत यूट्यूब चैनल जयगुरुदेवयूकेएम पर लाइव प्रसारित संदेश में बताया कि एक बार एक महात्मा तालाब के किनारे जा रहे थे। मछली पकड़ने वाला मछुआरा मरने के बाद ऊंट बना। और जब यह गिर गया तो जिन मछलियों को इसने मारा था वो कीड़े बन गए और घावों में काट कर अपना बदला ले रही। तो कर्म प्रधान देश बताया गया है। कर्मों की सजा मिलती ही मिलती है। यह मत सोचो मछली में जीव नहीं है। जो यह कहते हैं कि मछली जल तरोई है, मछली जलतरोई नहीं है, वह तो स्वार्थ में कहते हैं। कपड़ा पहन करके ऐसे बाबा चले गए थे, पूछे महाराज लहसुन प्याज खाते हो? बोले हरे हरे हरे हरा हरा (खाते हैं)। पूछे मछली खाते हो? बोले श्री श्री सिरी सिर (सिर खाते हैं)। बोले दारु शराब पीते हो? रम रम रम रम (पीता हूँ), लोग तो कहे राम राम राम बोल रहे हैं।

देसी नुस्स्खे

महाराज जी ने 4 अक्टूबर 2020 उज्जैन आश्रम में बताया कि ग्रहण नक्षत्र, लोग कहते हैं, इनको राहु केतु लग गया, इनको यह लग गया, वह लग गया। असर तो इनका थोड़ा बहुत होता है लेकिन असर को मिटाने के भी तरीके होते हैं। जैसे दिन के लिए कहा गया, सोम शनीचर पूरब न चालू। सोमवार और शनिवार को पूर्व दिशा की यात्रा अच्छी नहीं होती है। मंगल और बुध को उत्तर नहीं जाना चाहिए। शुक्र पश्चिम न करें पयाना। बृहस्पति दक्षिण जो करे पयाना और फिर न समझो घर वापस आना। तो यह जो दिशाओं में जो प्रस्थान होता था, यह कुछ न कुछ असर डालता था। जैसे सूरज की चमक, गर्मी, यह तिथियों का असर लोगों पर असर डालता था। ठंडी के महीने में गर्म चीज खानी चाहिए। जिनके पास पैसे हैं हल्दी, गरम मसाला, बादाम, काजू खाना चाहिए। गर्मी में तरबूज, खरबूजा। शरीर ठंडी-गर्मी बर्दाश्त कर लेगा और उसका असर कट जायेगा। केला ताकत लाता, खून को बढ़ाता है लेकिन देर में हजम होता है, कब्ज करता है तो इलायाची खा लो तो कब्जियत का असर बहुत कम हो जायेगा। अरबी की सब्जी में अजवाइन डालने से चिकनाहट कम होती, हींग डालने से उड़द की दाल की गरिष्ठता कम, उसके साथ दही, छाछ का प्रयोग करते हैं। अब भी जानकार बताते हैं कि दूध के साथ दही, खट्टी चीज मत खाना। कटहल का खोया खा कर पान कभी मत खाना नहीं तो पेट फूल जायेगा। जाना ही है तो रविवार को पान खाकर जाने से शरीर के विपरीत माहौल, हवा-पानी का, वातावरण का असर नहीं होगा। पान तो ऐसे भी फायदा करता है। फिर रोग दूर करने, ताकत बढ़ाने के लिए उसमें चूना लगाने लग गए। खाली चूने का पान खाया जाए तो कैल्शियम की कमी दूर होगी, हड्डियां मजबूत होंगी, पाचन शक्ति तेज होगी। सुपारी का काम पेट में पड़ी चीज को हजम करना। लेकिन जब से तम्बाकू डालने लग गए तो पान नुकसानदेह, जहरीला हो गया। पूजा में रखने वाले ताम्बुल को धीरे-धीरे चूसने से उसके तत्व अंदर जाकर फायदा करेंगे। सीधा खाने पर पाचन प्रक्रिया में चला जायेगा तब फायदा कम मिलेगा। मंगल को जाना हो तो थोड़ा गुड़ खा लो। बुध को धनिया, गुरूवार को कुछ दाना जीरा मुंह में डाल लो, शुक्र को दही खाकर जाना, शनिवार को अदरक खाकर जाना फायदा करता है। 

सबसे छोटे पुत्र ने गलती किया

बाबा उमाकान्त जी ने 27 दिसंबर 2017 उज्जैन आश्रम में बताया कि सतपुरुष के 16 सुतों शक्तियों, 16 पुत्र जिनको कहा गया, उनमें से सबसे छोटे पुत्र निरंजन भगवान हैं। उन्होंने गलती किया। जब यह सब लोग अलग किये गये तो फिर पिता ने इनसे संबंध थोड़े समय के लिए तोड़ा। इन्होंने बहुत तपस्या किया, उनके दर्शन के लिए मेहनत किया। दर्शन हुआ और वह खुश हुए। खुश होकर के उन्होंने कहा मांग लो जो तुमको मांगना है। लेकिन यह (निरंजन भगवान) गलती कर बैठे। उनके जैसी व्यवस्था, उनके जैसा ही राज्य मांग लिया। इस पर वो नाराज हो गए। राज्य तो इनको दे दिया लेकिन बगैर जीवाआत्माओं के राज्य का विस्तार नहीं हो सकता था इसलिए सतलोक के निचले स्तर की कुछ जीवात्माओं को इधर (मृत्युलोक में) भेज दिया। अब यह जीवात्मा यहां आकर के बंद होती गई। कारण, सूक्ष्म, लिंग, स्थूल- इन चारों शरीरों में बंद होती गई। फिर इनको निकालने के लिए उनको फिर प्रयास करना पड़ा।

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